चारण समाज की वेबसाईट मे
आपका स्वागत् है।
चारण शक्ति
चारण समाज की इस वेबसाईट मे आपका स्वागत् है…
वैदिक युग की अति प्राचीन जाति चारण, जो कृपाण व कलम की संवाहक, क्षात्र धर्म व इतिहास की संस्थापक, संस्कृति और हिन्दू धर्म की पूजारी। उसने इतना सब कुछ लिखा, पाला। परन्तु स्वयं के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखकर कहा कि हम तो दुनिया की जानकारी रखते हैं फिर स्वयं अपने बारे में लिखने की क्या आवश्यकता?
हमने इसी चारण के मौन इतिहास के समग्र रूप में चारण समाज की ऐसी राष्ट्रीय “चारण शक्ति” वेबसाइट आपकी सेवा में प्रस्तुत की है। चारणों के समग्र इतिहास की लम्बे समय से जो कमी महसूस हो रही थी उसकी पूर्ति के प्रयास में “चारण शक्ति” वेबसाइट प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता अनुभव कर रहे है।
समर्पण
आई श्री सोनल मां
स्मृति में
केसरीसिंह बारहठ
हमारे प्रणेता
भंवरदान मेहडू साता
जय माताजी हुकुम,
चारण समाज की पहली ऐसी राष्ट्रीय चारण शक्ति वेबसाइट (Www.Charanshakti.Org) जिसमे सभी प्रकार की जानकारियाँ अपडेट होती है, जहां अपने चारण बन्धु रहते है जैसे- राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट, केरल, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, बिहार, कर्नाटक, ओड़िसा, उत्तरप्रदेश, पश्चिम-बंगाल, आंध्रप्रदेश इन सभी राज्यो के साथ व अन्य सभी संगठन, संस्थाओं के साथ जुड़कर माँ जगदंबा की असीम कृपा से 20 अक्टूबर 2014 से चारण शक्ति, ऑनलाइन वेबसाइट आपकी सेवा में प्रस्तुत किया था, चारण शक्ति वेबसाइट से आप सभी प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हो व वेबसाइट पर अपलोड भी करवा सकते हो, जो चारण समाज की उपयोगी जानकारी हो। हमारी इस वेबसाइट का मुख्य कार्य यही है चारण समाज के लिए उपयोगी डाटा का संग्रह कर इस डाटा में हमारी समस्त चारण समाज की पूरी जानकारी व चारण कवियो, देवी – देवताओं, संतो – सुरों, दातारों का उल्लेख, समाज गौरव उच्च सरकारी पदाधिकारियों का उल्लेख, गाँवों, चारण गोत्र वाइज जातियों की जानकारी, रोजगारपरक सूचनाओं व हमारे सभी कविजनों की रचनाओ को भी जगह दी जा रही है, एक विभिन्न समावेश लायक हस्तियों का भी बारीकी से स्थान दिया जा रहा है
भंवरदान मेहडू
चारण शक्ति वेबसाइट
फाउंडर & एडिटर
चारण शक्ति
वैदिक युग की अति प्राचीन जाति चारण, जो थी कृपाण व कलम की संवाहक, क्षात्र धर्म व इतिहास की संस्थापक, संस्कृति और हिन्दू धर्म की पूजारी.
चारणों की उत्पत्ति सृष्टि-श्रजन काल से है और उनकी उत्पत्ति देवताओं में हुई है, जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत् का दिया जाता है.
चारणों की उत्पत्ति सृष्टि-श्रजन काल से है और उनकी उत्पत्ति देवताओं में हुई है, जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत् का दिया जाता है.
चारणों की उत्पत्ति सृष्टि-श्रजन काल से है और उनकी उत्पत्ति देवताओं में हुई है, जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत् का दिया जाता है.
चारणों की उत्पत्ति सृष्टि-श्रजन काल से है और उनकी उत्पत्ति देवताओं में हुई है, जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत् का दिया जाता है.
चारणों की उत्पत्ति सृष्टि-श्रजन काल से है और उनकी उत्पत्ति देवताओं में हुई है, जिसका प्रमाण श्रीमद्भागवत् का दिया जाता है.
The term “Charan” refers to a community or caste found in various regions of India. The Charans have historical significance and are known for their traditional roles as bards, storytellers, poets, and musicians. They have been associated with preserving oral traditions and genealogies, often narrating the history and stories of warrior clans, kings, and heroes.
The Charans are found in different states of India and are known by various names, such as Charans in Rajasthan and Gujarat, Charis in Himachal Pradesh, Chakhesang in Nagaland, and so on. They often have their own distinct customs, languages, and cultural practices.
It’s important to note that the classification and status of communities can vary over time, and individuals and groups may identify themselves in different ways based on their social, economic, and cultural contexts. Additionally, the term “Charan” may have different connotations and historical significance depending on the region and community.
If you’re looking for more specific information about the Charans in a particular region, I recommend conducting further research and consulting local sources or experts who specialize in the cultural and social history of that area.
The origins of the Charan caste in India are deeply rooted in history and mythology, making it a complex topic with varying interpretations. The Charans are a community traditionally associated with bardic and storytelling roles, and they are found in different regions across India. It’s important to note that the Charans may have different names and practices in different regions, and their historical origins can vary as well.
In some regions, Charans are believed to be descendants of ancient warrior classes or clans. They have often been associated with preserving the genealogies and histories of these warrior clans, along with narrating their stories and achievements. Charans were respected for their knowledge of history, mythology, and oral traditions, and they played an important role in passing down cultural heritage from one generation to the next.
In Rajasthan and Gujarat, the Charans are considered to be part of the Rajput community and are sometimes referred to as “Bards of Rajputana.” According to popular legends, they are said to have sprung from the thighs of Lord Brahma, symbolizing their connection to both the divine and warrior heritage.
In Himachal Pradesh, the Charis are believed to be descendants of Charpat Nath, a revered saint and poet. They are known for their musical and poetic talents and continue to maintain their traditional roles in society.
In Nagaland, the Chakhesang tribe has a subgroup called “Chara” which is associated with storytelling, singing, and performing rituals during important occasions.
It’s important to approach the topic with sensitivity and cultural awareness, as the historical narratives and origins of the Charan caste can be complex and subject to regional variations. Different regions may have their own stories and beliefs about the origins of the Charan community. If you’re interested in a specific region, consulting local experts, historical texts, and cultural resources can provide you with a more comprehensive understanding of the Charans’ origins in that area.
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