शिक्षित और स्वावलंबी मानव समाज के स्वप्नदृष्टा श्री पालुभाई गढवी (भजनानंदी)
सेवा समर्पन और सत्य वकता का लोक मुख से परिचय
● मांडवी के मिट्टी की महेक, शरीर से, स्वभाव से मूल गुजराती व्यक्ति श्रीपालुभाई वीरमभाई गढ़वी का जन्म 20 जुलाई 1975 के दिन गुजरात के कच्छ जिल्ला के मांडवी तहसील के बड़े भाड़िया गाँव मे हुवा हैं। वतन के मिट्टी की सुगंध और विशिष्टता उनके जीवननिर्वाण में महत्व की भूमिका दर्शाई हैं। कच्छीयत उनके जीवन का आदर्श हैं। मानव सेवा उनके जीवन का उद्देश्य हैं। अल्प आयु से पालुभाई को मानव सेवा और साहसिक प्रवुर्ति की उत्कंठा थी। स्वयं के आत्म विश्वास, संकल्प के प्रति उत्सुकता और आत्म समज से उन्होंने उत्तरोत्तर सिद्धि अर्जित की हैं ।
श्री पालुभाई परिश्रम, वर्चश्व और पारिवारिकता से महेकते अदभुत व्यक्तित्व के अधिकारी हैं। जीवन में नया अर्जित करके उसे कर्मप्रधान बनाने की इच्छाशक्ति लेके अनेक सेवा कार्यो को निमित्त बनाया हैं। कच्छ के मिट्टी की महेक स्वयं के शरीर के पसीने में उतारकर समाज सेवा करने और समाज का ऋण उतारने की तरफ प्रयत्न शील हैं और रहेंगे।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगतिशीलता, विकास, नवीनता प्रदान करके आनंद लेना इनका स्वभाव हैं। और ये कच्छ के वरिष्टतम प्रगतिशील किसानों में से एक हैं। वैसे ही आरती ग्रुप से जुड़े हुवे श्री पालुभाई व्यावसायिक और सेवकीय इत्याद प्रवुर्तिओ में रुचि रखते हैं। कच्छ-काठियावाड़ सहित समग्र भारत और देश विदेशो में इनकी लोकप्रियता, चाहना के कारण से देश विदेशो में उनको अधिकतम सहानुभूति मिली है । सोश्यल मीडिया में भी श्रीपालुभाई के अनेको मित्रो के साथ जुड़ाव है । जिससे इनके द्वारा आयोजित सभी शुभ कार्य सफलता पूर्वक संपन्न होते रहे हैं । इस लिए आज श्री पालुभाई कच्छ के जीवन के जागृत प्रहरी और सेवा के उदाहरण हैं।
श्री पालुभाई के जीवन व्यवहार में कच्छीयत के दर्शन होते है। कच्छीयत उनकी अपनी पहेचान है । उनके जीवन मे मूल्यनिष्ठा और वतन की मिट्टी की खुश्बू है, उनके समाज का ज्यादातर वर्ग उनका प्रशंसक है । कोई भी कार्य मे श्रीपालुभाई भाई का नैतृत्व हो वो कार्य को अविश्वनीय समर्थन मिलता है, ये लोगो के विश्वास की अदभुत सिद्धि है।
नैतृत्व और वकतृत्व की परिभाषा देश प्रेमी परिवार के संतान श्री पालुभाई वीरमभाई गढ़वी (भजनानंदी) की संगठन शक्ति समज बखूबी हैं। कोई भी क्षेत्र में नैतृत्व वकतृत्व और सामर्थ अपनी खुद की एक अलग पहेचान है, विद्यालय के समय से ही नैतृत्व का सहज गुन था, विद्यालय में जीएस के रूप में अपने साथी छात्रों का नैतृत्व कर के अपनी सेवा दी, कई छात्र आज भी उन दिनों को याद करते है, कच्छ गुजरात के कई युवाधनो के वो श्री पालुभाई गढ़वी (भजनानंदी) आदर्श है, कई मित्रो को नई दिशा प्रदान की हैं। श्रीपालुभाई का सादगी भरा जीवन कई मित्रो को नई राह दिखाता हैं, उनका परोपकार से भरा स्वभाव और बिना आडंबर वाला जीवन के कारण कच्छ के सामान्य आदमी के ह्रदय में भी स्थान लिया हैं, मुसीबत के समय मे हर एक लोग को मित्र रूप से मदद कर के कई परिवार एवम कई जातियों में सन्मानित स्थान मिला है। वर्तमान समय मे 44 साल की छोटी सी उम्र में 88 साल जीतना मानवीय सेवा का कार्य कर के अपना जीवन सत्संगी बनाके जी रहे है, लोगो के हित के लिए सदा कार्य शील रहेते है, श्री पालुभाई जैसी उदारदिली और खुमारी बहुत कम लोगो मे देखने को मिलती हैं,
श्री पालुभाई गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी, और कच्छी भाषा मे अपनी बात और विचारधारा अभिव्यक्त करने में माहिर है, उनकी बोलने की छटा श्रोताओ को प्राभावित करती है, चारणी अदा से भरी कच्छी भाषा सुनने वाला सुखद अनुभव करता है। वर्तमान में जीने वाले इंसान को अपने विचार की अभिव्यक्ति ही सफलता दिलाती हैं। श्री पालुभाई की वकतृत्व कला और सामर्थ्य अपनी पहेचान को सुशोभित बनाती है, उनके साथ यूँ ही बात करके भी कला के दर्शन होते हैं। श्री पालुभाई अपने माननीय वड़ा प्रधान श्री नरेन्द्रभाई मोदी के न्यू इंडिया सपने के समर्थक है, और उनकी कार्यशीलता से भी प्रभावशाली है।
● मानव सेवा की ऊंची उड़ान
मानव सेवा की सदप्रवुर्ति ओ को श्री पालुभाई गढवी ने एक अलग पहेचान दी है, वो देश-विदेश में बसे हुवे लोगो दिल मे बसे हुए सेवक हैं, कर्म क्षेत्र में कई मरीजो को अपने स्वभन्डोल से अस्पताल में ऑपरेशन का खर्च देके आशीर्वाद लिए है, कोई भी जाति की सीमाओं के बंधन में ना रहेते हुए कई बेटियो की शादियो में कन्यादान करने को चूकते नही है, गुप्त दान कर के मानव मात्र की पूजा करते हैं। निश्वार्थ सेवा किसको कहेते है उनकी तस्वीर श्री पालुभाई गढ़वी हैं, कच्छ गुजरात के हर छोटे बड़े धार्मिक, सामाजिक,सांस्कृतिक, और आरोग्य के अच्छे कार्य मे श्री पालुभाई का योगदान रहेता हैं। कच्छ और गुजरात के कला क्षेत्र के साधको को सहकार दे कर देश विदेशो में प्रसिद्धि दिलवाने में उनका योगदान रहा है उन्हीके कारण उनको भजनानंदी के नाम से पहेचानते है।
सेवा कार्य के लिए कोई सरहद की जरूरत नही होती, संघर्ष के समय मे भी सेवा करना नही चूकते, किसी जाति का बिना भेदभाव समूह शादी, आर्युवेदिक उपचार और उभरते हुए कलाकारो को प्रोत्साहित करना उनका स्वभाव है, उम्र दराज लोगो को यात्रा करा के आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। कच्छ के ज्यादातर युवाओं भजनप्रेमियो श्री पालुभाई को अपना आदर्श मानते हैं, श्री पालुभाई अपनी राय देते है की” अच्छे कार्य पसंद करने के बजाय, जो भी कार्य पसंद करते हो उनको अच्छा बनाओ” कच्छ मुल्क इन्सान श्री पालुभाई गढ़वी (भजनानंदी) उसके सेवा कार्य, खुमारी और उदारदिली से अपने वतन, माता पिता, और गुरुजनो के नाम रोशन कर रहे है, ये उच्च कोटि के इंसान श्री पालुभाई की मानव सेवा कहानी बहुत लंबी है, ऐसे कार्य मे वो अपने परमात्मा की कृपा एवम सद्गुरु की विचारधारा के साथ चलते हैं,
● कच्छ के दाता – भामाशा
कुछ इंसान को परमात्मा इसलिए धन और वैभव देता है कि परमात्मा को भरोसा होता हैं कि वो परोपकार में खर्च करेगा। धन और वैभव के मालिक नही, पर मुनिम जी बनो, इसमे ही ईश्वर की प्रसन्नता हैं, परमात्मा को प्रसन्न हो ऐसा कार्य करो, तो आपकी हर अच्छी प्रवुर्ति भजन हो जाएगी, इंसान का जीवन प्रसाद है, प्रसाद का कभी गलत उपयोग मत करो.. संतो के सद्विचारों को श्री पालुभाई ने अपने जीवन मे ग्रहण किये है – “दुसरो के भरोसे कभी इंसान आगे नही बढ़ता जो उठ खड़ा हो के दौड़ता है वो ही मंजिल पाता हैं ।” श्री पालुभाई ने जीवन के हर क्षेत्र में सेवा की मंजिल प्राप्त की है।
श्री पालुभाई वर्तमान समय के दाता भामाशा है, उदारदिली से दिए हुए धन से कई सद्कार्य संपन्न हुए है, उनके कुछ उदाहरण देखे तो कच्छ मुंद्रा के अंदरूनी गाँवो में बहेतर शिक्षा के लिए तुलसी विद्यालय को कॉम्प्यूटर की सेवा से सज्ज किया हैं, कच्छ के बड़े भाड़िया गाँव मे प्राथमिक छात्रों के लिए वर्गखंडो का निर्माण एवम ज्यादा वर्ग शिक्षक प्रदान कर के बहेतर शिक्षा देने के हेतु से कार्यरत है, कई गाँवो में विशाल गौशाला के निर्माण के लिए योगदान दिया हैं, और गायो के लिए चारा की भी व्यवस्था की हैं, कच्छ और गुजरात की कई गौशाला ओ में आर्थिक सहयोग देने के कारण लोगो उन्हें “गौ भक्त” के नाम से भी पहेचानते हैं.
हम सब जानते है कि ऋषि मुनियों गौ माता को आदरणीय मानते थे, हजारो) साल पहेले अपने आश्रम में गौ माता ओ का जतन करते थे, और उसके गौ मूत्र और दूध को शक्ति के रूप में और गौ मूत्र को औषधि के लिए और घी को यज्ञ में होम करके ऑक्सीजन का सर्जन होता है यह सभी मान्यताओ को श्री पालुभाई मानते हैं, और उनका मानना हैं कि यह सब प्राथमिक की कक्षाओं में पढ़ाया जाए।
शांति के समय मे श्री पालुभाई को सुनना एक बहुत ही सुंदर क्षण है, श्री पालुभाई शुद्ध विचार और आचार के आग्रही है, शुद्ध विचार से बड़ा कोई धर्म नही हैं, शुद्ध आचरण के बिना दूसरा कोई उच्च कर्म नही हैं, जीवन मे मांगल्य सदविचारो से ही आते है। कई मित्रो को श्री पालुभाई के साथ विचार विमर्श से उपदेशात्मक बातो से सुखद अनुभव हुवा हैं, श्री पालुभाई भाई सकारत्मक विचारधारा में रचे हुए इंसान है, दोस्तो के साथ कही हुई बातो में वो कहेते है कि “विविध क्षेत्र में विकास और अच्छे काम करने पर उसपे आक्षेप जरूर लगेंगे, ऐसे निंदाकारो को अपने आसपास होना जरूरी हैं, हमारे यहाँ हर एक क्षेत्र में निंदाकार तत्वों का अस्तित्व हर हमेश हाजर रहेता है, चाहे कोई धार्मिक संप्रदाय या राजकीय शासन कर्ता हो निंदा और बुरी बाते करने वाले हाजर ही होते है, वो कोई कमी छोड़ते नही, यूँ देखे तो ऐसे तत्व जरूरी है इसी बात पे कबीरसाहब अपनी एक साखी में कहेते है कि
“निंदक निमरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।_
बिनु पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाइ।।“
अर्थात अपनी निंदा करने वाले को अपने से दूर नही नज़दीक रखना चाहिए, उनको अपने आंगन में एक झोपडी बना के प्रेम से रहेने देना चाहिए, क्योंकि निंदक ही हमारी बुराइयों को, गलतियों को और स्वभाव को निंदा से साफ करता रहै, साबुन और पानी के बिना हमारी जात को निर्मल करता रहेता है… तो हम उनको दूर क्यों रखे ????
● श्री पालुभाई भाई एक अनन्य और अद्वित्य व्यक्तिव
कई लोग दूसरों के रास्ते पे नही चलते वो खुद अपने रास्ते बनाते है, यूँ देखे तो इसमे उसको संतोष नहीं रहेता क्योंकि उसके खुद के सपने होते है, और उसको सिद्ध करने का साहस भी होता है। अनदेखी परिस्थिति को टकराने की हिमंत होती है, शुरुआत में ये अनिश्चित लगता है मगर फिर भी उनका परिणाम सिद्धि हाँसिल करता हैं, श्री पालुभाई गढ़वी ऐसे ही व्यक्तित्व हैं। अपना खुद का रास्ता बनाया है, इतना ही नही सिद्ध करके भी बताया है,
दोस्त बनाना और उस दोस्ती को टिकाए रखना ये पालुभाई गढ़वी की आगवी सिद्धि हैं, उनकी वाचा हर हमेश मधुर एवम हितकारी होती हैं, उनके साथ कि हुई मुलाकात मधुरता की छाप छोड़ जाती हैं, उन्होंने किए हुए असंख्य प्रेरणादायी सत्कार्यो उनके जीवन का संदेश है। प्राचीन ग्रँथ में एक संस्कृत श्लोक है, “क्रिया सिद्धि: सत्व भवति” महान पुरुषो ने उनकी कार्य सिद्धि उनके सत्व से ही मिली हैं। उनको किसी और पर आधारित नही रहेना पड़ता, आप बिना सोचे ही कह सकते है कि भजनानंदी श्री पालुभाई गढ़वी ऐसे सत्व से भरे हुए है, सत्व की उपासना नही करनी पड़ती वो जीवन मे होता ही है।
श्री पालुभाई गढ़वी ने शिशु मन्दिर के बच्चों से लेकर बड़े वरिष्ठ नागरिकों तक उनके संस्कार के परब का अमृतपान सब को दिया हैं। उनके भवदीय कार्य देश विदेश के लोग ह्रदय में बसे हुए है, ऐसे अनन्य अद्वित्य और विरल व्यक्तित्व को सलाम ।
●आरोग्य, शिक्षा और सुरक्षा के अनुयायी
बचपन से मानव सेवा के अनुयायी श्री पालुभाई हर कोई *समाज के जरूरत मंदो को हर एक प्रकार की आरोग्य सेवा, शिक्षा सेवा और सुरक्षा लक्षी सेवा के लिये सदा तन, मन, और धन से सहयोग करते है,* इस लिए देश विदेश में सब वरिष्ठ जन के आशीर्वाद के पात्र बने हैं, छोटे बड़े कोई भी इन्सान को किसी भी समय निराश नही किया हैं, समय-समय पे रक्तदान के केम्प का आयोजन कर के जाती के भेद बिना सेंकडो बोटल रक्त एकत्रित कर के दान किया हैं।
वर्तमान समय मे सुरक्षा की जानकारी सब से बड़ी आवश्यकता है, क्योंकि अगर वो जानकारी ना हो तो अपनी सोची हुई सफलता प्राप्त नही होती, अगर बिना सुरक्षा बड़ा नुकशान हो सकता हैं, सुरक्षा को जीवन मे प्राथमिकता देने से सुख और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, जीवन मे शांति रहेगी अगर हम सुरक्षित जीवन जी रहे है तो समृद्धि खुद आएगी, शिक्षा = सुख, स्वास्थ्य = शान्ति, और सुरक्षा = समृद्धि जो मानव कल्याण के लिए अति आवश्यक है, श्री पालुभाई ये मानते है कि शिक्षा का मुख्य काम सामान्य इंसान में रोशनी डालने का हैं।
● सत्य, सेवा और समर्पण का समन्वय
सत्य के मार्ग पे चलते हुए भजनानंदी कई कष्टो को अपनी पगदंडी बना के सदा सत्य वक्ता रहे है, सेवा के कार्य लिए अपने तन,मन और धन के समपर्ण करने में कभी पीछे मुड़कर नही देखा हैं, सिर्फ भजनानंदी श्री पालुभाई गढ़वी का कहेना है कि “सेवा की कोई सरहद नही होती” ये जीवन मन्त्र लेके जिंदा दिल इंसान कोई किसी भी जगह हो, कोई भी इंसान हो, जाती भाती के भेद बिना अपना तन, मन और धन समर्पित कर देते हैं ।
वर्तमान समय मे कोई कोई महानुभवों सत्य में जीते है, सत्य बोलते है, सत्य का आचरण करते है किन्तु दुसरो का सत्य स्वीकारते नही है, एक विद्धवान पुरुष दूसरे विद्धवान को योग्य नही ठहेराता, ऐसे ईर्ष्या और दंभ के प्रदूषित माहौल में श्री पालुभाई गढ़वी दिल खोलकर सत्य की समीप जी रहे है,और दूसरों का सत्य भी स्विकार करते है, दूसरे आदमी ओ के तत्व और कला की कदर करते हैं ऐसे विरल इन्सान श्री पालुभाई गढ़वी (भजनानंदी) सब को सत्य के करीब रहेने की सीख देते है।
● कुलदीपक भजनानंदी श्री पालुभाई गढ़वी
जो कुल में जन्म लिया हैं, वो उत्तम चारण कुल के लिए भी भजनानंदी श्री पालुभाई ने बहुत से सामाजिक कर्म किये हैं, जो वो उनका कर्तव्य समझते है.
भजनानंदी श्री पालुभाई गढ़वी ने अपनी कर्म निष्ठा से अपने उत्तम कुल चारण समाज के लिए तकरीबन 20 से ज्यादा कार्य किये है।
2 Responses
गरवो दातार गेलवो
चारणो के सही जीवन जीने की सीख भाई श्री पालू भाई के जीवन से मिलती 🙏🙏🙏
ખુબ ખુબ સરસ પાલુભાઇ…
તમારો આ વિચાર ચારણસમાજ માટે ઘણો ઉપયોગી ને ઉત્સાહિત કરશે…
નમો નારાયણ….👏
“જય સોનલ માઁ”