पूरा नाम | श्री पिंगळशीभाई पायक |
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माता पिता का नाम | पिता श्री परबतभाई पायक |
जन्म व जन्म स्थान | श्री पिंगळसिंह बापू का जन्म कच्छ वागड़ के लोद्राणी गांव में 16 अप्रैल विक्रम संवत 1964 चैत्र सुद पूर्णिमा – हनुमान जयंती के दिन हुआ। |
स्वर्गवास | |
दिनाक 09/08/1987 वी.स. 2043 श्रावण सुद – पूनम रविवार के दिन चारण ऋषि ने अंतिम विदाई ली। | |
अन्य | |
चारणी साहित्य के शोधकर्ता, “मातृदर्शन” ग्रँथ के लेखक और उस समय के शिक्षित वकील, साथ ही जिन्होंने सरकारी नौकरी ठुकराकर समाज सेवा में अपना जीवन न्यौछावर करने वाले, अलगारी चारण रत्न, आईश्री सोनल माँ के नेतृत्व में ओर पद्मश्री दुलभाया काग के साथ सामाजिक सुधार पर कार्य करने वाले चारण ऋषि श्री पिंगळशीभाई पायक। | |
जीवन परिचय | |
समाज सेवक चारण ऋषि श्री पिंगळशीभाई पायक चारणी साहित्य के शोधकर्ता, “मातृदर्शन” ग्रँथ के लेखक और उस समय के शिक्षित वकील, साथ ही जिन्होंने सरकारी नौकरी ठुकराकर समाज सेवा में अपना जीवन न्यौछावर करने वाले, अलगारी चारण रत्न, आईश्री सोनल माँ के नेतृत्व में ओर पद्मश्री दुलभाया काग के साथ सामाजिक सुधार पर कार्य करने वाले चारण ऋषि श्री पिंगळशीभाई पायक। आईश्री सोनाल माँ के नेतृत्व में, समाज में जागृति लाने वाले युगपुरुष स्व. श्री पिंगळसिंहभाई पायक सच्चे अर्थों में चारण ऋषि थे। उन्होंने स्वयं और परिवार की परवाह किये बिना अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में अर्पण कर दिया। स्व. श्री पिंगळसिंह बापू का जन्म कच्छ वागड़ के लोद्राणी गांव में 16 अप्रैल विक्रम संवत 1964 चैत्र सुद पूर्णिमा – हनुमान जयंती के दिन हुआ। लोद्राणी में गुजराती कक्षा 04 तक का अध्ययन करने के बाद, उन्होंने भुज की वृजभाषा पाठशाला में प्रवेश लिया। उस समय, वह कच्छ के राजकवि श्री हमीरजी के शिष्य बन उन्होंने पिंगल और चारणी साहित्य का अध्ययन किया और अल्फ्रेड हाई स्कूल, भुज में मैट्रिक तक की पढ़ाई भी की। मैट्रिक के बाद शामलदास कॉलेज, भावनगर में बी.ए. तक की शिक्षा प्राप्त की तथा एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की। कच्छ और भावनगर में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने विवाह किया और कस्टम में उच्च पद की नोकरी प्राप्त की। तीन वर्ष के अल्प वैवाहिक जीवन के बाद उनकी पत्नी और नवजात पुत्री का अवसान हो गया और उन्होंने इच्छावश पुनर्विवाह नहीं किया और जीवन भर अविवाहित रहकर अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया। भावनगर चारण बोर्डिंग पिगळसिंह बापु का मानस संतान । आईश्री सोनलमा के स्वधागमन के बाद देवीओं के जीवनी चरित्र के साथ आई सोनल माँ के जीवन चरित्र ग्रंथ ‘मातृदर्शन’ नामक अमूल्य ऐतिहासिक ग्रंथ समाज को अर्पण किया। दिनाक 09/08/1987 वी.स. 2043 श्रावण सुद – पूनम रविवार के दिन चारण ऋषि ने अंतिम विदाई ली। |
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