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पदम् श्री विजयदान देथा

पदम् श्री विजयदान देथा

पदम् श्री विजयदान देथा

 

पूरा नामपद्मश्री विजयदान देथा (बिज्जी)
माता पिता का नाममाता श्रीमति सिरे कुंवर, पिता श्री सबलदानजी देथा
जन्म व जन्म स्थान01 सितम्बर 1926 को जोधपुर जिले के बोरुंदा गाँव मे हुआ
स्वर्गवास
87 वर्ष की उम्र में 10 नवंबर, 2013 रविवार के दिन दिल का दौरा पडने से बोरुंदा गांव (जोधपुर) में आपका स्वर्गवास हो गया
अन्य
  • बिज्जी का विवाह बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में श्री रामदयाल की सुपुत्री श्रीमति शायर कुँवर के साथ हुआ।
  • आपके चार पुत्र व एक पुत्री हुई जिनमें सबसे बड़े श्री प्रेमदानजी थे जिनका विवाह बाड़मेर जिले के भादरेश गांव में श्री भुरसिंहजी की सुपुत्री दरिया कुँवर के साथ हुआ। दूसरे पुत्र का नाम श्री केलाशदान जिनका विवाह पाली जिले के बर्री गाँव मे श्री खेतदानजी की सुपुत्री सुमन कुँवर के साथ हुआ। तीसरी आपकी सुपुत्री कौशल्या कुँवर का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के उम्मेदसिंह बिठू से हुआ। चौथे पुत्र श्री सत्यदेवसिंह का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के नरसिंहदानजी की पुत्री निर्मला कुँवर के साथ हुआ। पाचवे पुत्र महेंद्रसिंह का विवाह सीकर जिले के चारणों की ढाणी (रामदयालजी का बास) के श्री भगीरथसिंहजी की सुपुत्री चन्द्रकला के साथ हुआ।

 जीवन परिचय

राजस्थानी लोक संस्कृति की प्रमुख सरक्षक संस्था रूपायन संस्थान बोरून्दा (जोधपुर) के प्रमुख सचिव श्री विजयदान देथा (बिज्जी) का जन्म श्री मति सिरे कुंवर की कोख से 01 सितम्बर 1926 को जोधपुर जिले के बोरुंदा गाँव मे हुआ।

आपके पिता का नाम श्री सबलदान देथा था। आपके पिता का साथ ज्यादा नही रह पाया और 4 साल की उम्र में ही उनका स्वर्गवास हो गया। बिज्जी का विवाह बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में श्री रामदयाल की सुपुत्री श्रीमति शायर कुँवर के साथ हुआ। आपके चार पुत्र व एक पुत्री हुई जिनमें सबसे बड़े श्री प्रेमदानजी थे जिनका विवाह बाड़मेर जिले के भादरेश गांव में श्री भुरसिंहजी की सुपुत्री दरिया कुँवर के साथ हुआ। दूसरे पुत्र का नाम श्री केलाशदान जिनका विवाह पाली जिले के बर्री गाँव मे श्री खेतदानजी की सुपुत्री सुमन कुँवर के साथ हुआ। तीसरी आपकी सुपुत्री कौशल्या कुँवर का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के उम्मेदसिंह बिठू से हुआ। चौथे पुत्र श्री सत्यदेवसिंह का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के नरसिंहदानजी की पुत्री निर्मला कुँवर के साथ हुआ। पाचवे पुत्र महेंद्रसिंह का विवाह सीकर जिले के चारणों की ढाणी (रामदयालजी का बास) के श्री भगीरथसिंहजी की सुपुत्री चन्द्रकला के साथ हुआ।

बिज्जी की कर्म भूमि राजस्थान स्वयं पैतृक गाँव बोरुंदा ही रही । प्रारम्भ में 1953 से 1955 तक बिज्जी ने हिन्दी मासिक ‘प्रेरणा’ का सम्पादन किया। तत्पश्चात हिन्दी त्रैमासिक रूपम, राजस्थानी शोध पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोरठा व और कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी ह और लोक संस्कृति का सम्पादन किया। विजयदान देथा की लिखी कहानियों पर दो दर्जन से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित ‘दुविधा’ पर अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 1986 में उनकी कथा पर चर्चित फिल्म – निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म “परिणीति” काफी प्रशंसनीय रही राजस्थान साहित्य अकादमी 1972-73 में उन्हें विशिष्ट साहित्यकार के रूप में सम्मानित कर चुकी है। रंगकर्मी हबीब तनवीर ने विजयदान देथा की लोकप्रिय कहानी ‘चरणदास चोर’ को नाटक का स्वरूप प्रदान किया था और श्याम बेनेगल ने इस पर एक फिल्म भी बनाई थी। दुविधा पर अमोल पालेकर द्वारा बनाई गई फिल्म ‘पहेली’ को ऑस्कर पुरस्कार हेतु नामांकित किया गया।

राजस्थानी भाषा मे करीब 800 से अधिक लघुकथाएं लिखने वाले विजयदान देथा की कृतियों का हिंदी, अंग्रेजी समेत विभिन्न भाषाओं में, अनुवाद किया गया। विजयदान देथा ने कविताएँ भी लिखीं और उपन्यास भी। राजस्थानी भाषा मे 14 खण्डों में प्रकाशित “बाता री फुलवारी” के दसवें खण्ड को भारतीय राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया हैं, जो कि राजस्थानी कृति पर पहला पुरुस्कार है। 2007 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित विजयदान देथा को इसके अतिरिक्त राजस्थान रत्न अंलंकरण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वे प्रथम राजस्थानी व्यक्ति है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, मरूधरा पुरस्कार, भारतीय भाषा2 परिषद पुरस्कार, चूड़ा मणि पुरस्कार भी प्रदान किए गए। 87 वर्ष की उम्र में 10 नवंबर, 2013 रविवार के दिन दिल का दौरा पडने से बोरुंदा गांव (जोधपुर) में आपका निधन हो गया जो समाज के और साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।


 

पुरस्कार और सम्मान

१९७४साहित्य अकादमी पुरस्कार
१९९२भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
१९९५मरुधारा पुरस्कार
२००२बिहारी पुरस्कार
२००६साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार
२००७पद्मश्री
२०११राव सिंह पुरस्कार

फिल्मे

फिल्म नामवर्षआधार कहानी
दुविधा१९७३दुविधा
चरणदास चोर१९७५चरणदास चोर
परिणति१९८६परिणति
पहेली२००५दुविधा
लजवंती२०१४लजवंती
काँचली२०२०केंचुली
लैला और सत्त गीत२०२०केंचुली

पद्मश्री विजयदान देथा (बिज्जी)  रचित अथवा उनसे सम्बंधित रचनाओं अथवा आलेख पढ़ने के लिए नीचे शीर्षक पर क्लिक करें –

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पदम् श्री विजयदान देथा

 

पूरा नामपद्मश्री विजयदान देथा (बिज्जी)
माता पिता का नाममाता श्रीमति सिरे कुंवर, पिता श्री सबलदानजी देथा
जन्म व जन्म स्थान01 सितम्बर 1926 को जोधपुर जिले के बोरुंदा गाँव मे हुआ
स्वर्गवास
87 वर्ष की उम्र में 10 नवंबर, 2013 रविवार के दिन दिल का दौरा पडने से बोरुंदा गांव (जोधपुर) में आपका स्वर्गवास हो गया
अन्य
  • बिज्जी का विवाह बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में श्री रामदयाल की सुपुत्री श्रीमति शायर कुँवर के साथ हुआ।
  • आपके चार पुत्र व एक पुत्री हुई जिनमें सबसे बड़े श्री प्रेमदानजी थे जिनका विवाह बाड़मेर जिले के भादरेश गांव में श्री भुरसिंहजी की सुपुत्री दरिया कुँवर के साथ हुआ। दूसरे पुत्र का नाम श्री केलाशदान जिनका विवाह पाली जिले के बर्री गाँव मे श्री खेतदानजी की सुपुत्री सुमन कुँवर के साथ हुआ। तीसरी आपकी सुपुत्री कौशल्या कुँवर का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के उम्मेदसिंह बिठू से हुआ। चौथे पुत्र श्री सत्यदेवसिंह का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के नरसिंहदानजी की पुत्री निर्मला कुँवर के साथ हुआ। पाचवे पुत्र महेंद्रसिंह का विवाह सीकर जिले के चारणों की ढाणी (रामदयालजी का बास) के श्री भगीरथसिंहजी की सुपुत्री चन्द्रकला के साथ हुआ।

 जीवन परिचय

राजस्थानी लोक संस्कृति की प्रमुख सरक्षक संस्था रूपायन संस्थान बोरून्दा (जोधपुर) के प्रमुख सचिव श्री विजयदान देथा (बिज्जी) का जन्म श्री मति सिरे कुंवर की कोख से 01 सितम्बर 1926 को जोधपुर जिले के बोरुंदा गाँव मे हुआ।

आपके पिता का नाम श्री सबलदान देथा था। आपके पिता का साथ ज्यादा नही रह पाया और 4 साल की उम्र में ही उनका स्वर्गवास हो गया। बिज्जी का विवाह बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में श्री रामदयाल की सुपुत्री श्रीमति शायर कुँवर के साथ हुआ। आपके चार पुत्र व एक पुत्री हुई जिनमें सबसे बड़े श्री प्रेमदानजी थे जिनका विवाह बाड़मेर जिले के भादरेश गांव में श्री भुरसिंहजी की सुपुत्री दरिया कुँवर के साथ हुआ। दूसरे पुत्र का नाम श्री केलाशदान जिनका विवाह पाली जिले के बर्री गाँव मे श्री खेतदानजी की सुपुत्री सुमन कुँवर के साथ हुआ। तीसरी आपकी सुपुत्री कौशल्या कुँवर का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के उम्मेदसिंह बिठू से हुआ। चौथे पुत्र श्री सत्यदेवसिंह का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के नरसिंहदानजी की पुत्री निर्मला कुँवर के साथ हुआ। पाचवे पुत्र महेंद्रसिंह का विवाह सीकर जिले के चारणों की ढाणी (रामदयालजी का बास) के श्री भगीरथसिंहजी की सुपुत्री चन्द्रकला के साथ हुआ।

बिज्जी की कर्म भूमि राजस्थान स्वयं पैतृक गाँव बोरुंदा ही रही । प्रारम्भ में 1953 से 1955 तक बिज्जी ने हिन्दी मासिक ‘प्रेरणा’ का सम्पादन किया। तत्पश्चात हिन्दी त्रैमासिक रूपम, राजस्थानी शोध पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोरठा व और कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी ह और लोक संस्कृति का सम्पादन किया। विजयदान देथा की लिखी कहानियों पर दो दर्जन से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित ‘दुविधा’ पर अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 1986 में उनकी कथा पर चर्चित फिल्म – निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म “परिणीति” काफी प्रशंसनीय रही राजस्थान साहित्य अकादमी 1972-73 में उन्हें विशिष्ट साहित्यकार के रूप में सम्मानित कर चुकी है। रंगकर्मी हबीब तनवीर ने विजयदान देथा की लोकप्रिय कहानी ‘चरणदास चोर’ को नाटक का स्वरूप प्रदान किया था और श्याम बेनेगल ने इस पर एक फिल्म भी बनाई थी। दुविधा पर अमोल पालेकर द्वारा बनाई गई फिल्म ‘पहेली’ को ऑस्कर पुरस्कार हेतु नामांकित किया गया।

राजस्थानी भाषा मे करीब 800 से अधिक लघुकथाएं लिखने वाले विजयदान देथा की कृतियों का हिंदी, अंग्रेजी समेत विभिन्न भाषाओं में, अनुवाद किया गया। विजयदान देथा ने कविताएँ भी लिखीं और उपन्यास भी। राजस्थानी भाषा मे 14 खण्डों में प्रकाशित “बाता री फुलवारी” के दसवें खण्ड को भारतीय राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया हैं, जो कि राजस्थानी कृति पर पहला पुरुस्कार है। 2007 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित विजयदान देथा को इसके अतिरिक्त राजस्थान रत्न अंलंकरण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वे प्रथम राजस्थानी व्यक्ति है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, मरूधरा पुरस्कार, भारतीय भाषा2 परिषद पुरस्कार, चूड़ा मणि पुरस्कार भी प्रदान किए गए। 87 वर्ष की उम्र में 10 नवंबर, 2013 रविवार के दिन दिल का दौरा पडने से बोरुंदा गांव (जोधपुर) में आपका निधन हो गया जो समाज के और साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।


 

पुरस्कार और सम्मान

१९७४साहित्य अकादमी पुरस्कार
१९९२भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
१९९५मरुधारा पुरस्कार
२००२बिहारी पुरस्कार
२००६साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार
२००७पद्मश्री
२०११राव सिंह पुरस्कार

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दुविधा१९७३दुविधा
चरणदास चोर१९७५चरणदास चोर
परिणति१९८६परिणति
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लजवंती२०१४लजवंती
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स्वर्गवास
87 वर्ष की उम्र में 10 नवंबर, 2013 रविवार के दिन दिल का दौरा पडने से बोरुंदा गांव (जोधपुर) में आपका स्वर्गवास हो गया
अन्य
  • बिज्जी का विवाह बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में श्री रामदयाल की सुपुत्री श्रीमति शायर कुँवर के साथ हुआ।
  • आपके चार पुत्र व एक पुत्री हुई जिनमें सबसे बड़े श्री प्रेमदानजी थे जिनका विवाह बाड़मेर जिले के भादरेश गांव में श्री भुरसिंहजी की सुपुत्री दरिया कुँवर के साथ हुआ। दूसरे पुत्र का नाम श्री केलाशदान जिनका विवाह पाली जिले के बर्री गाँव मे श्री खेतदानजी की सुपुत्री सुमन कुँवर के साथ हुआ। तीसरी आपकी सुपुत्री कौशल्या कुँवर का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के उम्मेदसिंह बिठू से हुआ। चौथे पुत्र श्री सत्यदेवसिंह का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के नरसिंहदानजी की पुत्री निर्मला कुँवर के साथ हुआ। पाचवे पुत्र महेंद्रसिंह का विवाह सीकर जिले के चारणों की ढाणी (रामदयालजी का बास) के श्री भगीरथसिंहजी की सुपुत्री चन्द्रकला के साथ हुआ।

 जीवन परिचय

राजस्थानी लोक संस्कृति की प्रमुख सरक्षक संस्था रूपायन संस्थान बोरून्दा (जोधपुर) के प्रमुख सचिव श्री विजयदान देथा (बिज्जी) का जन्म श्री मति सिरे कुंवर की कोख से 01 सितम्बर 1926 को जोधपुर जिले के बोरुंदा गाँव मे हुआ।

आपके पिता का नाम श्री सबलदान देथा था। आपके पिता का साथ ज्यादा नही रह पाया और 4 साल की उम्र में ही उनका स्वर्गवास हो गया। बिज्जी का विवाह बीकानेर जिले के देशनोक गाँव में श्री रामदयाल की सुपुत्री श्रीमति शायर कुँवर के साथ हुआ। आपके चार पुत्र व एक पुत्री हुई जिनमें सबसे बड़े श्री प्रेमदानजी थे जिनका विवाह बाड़मेर जिले के भादरेश गांव में श्री भुरसिंहजी की सुपुत्री दरिया कुँवर के साथ हुआ। दूसरे पुत्र का नाम श्री केलाशदान जिनका विवाह पाली जिले के बर्री गाँव मे श्री खेतदानजी की सुपुत्री सुमन कुँवर के साथ हुआ। तीसरी आपकी सुपुत्री कौशल्या कुँवर का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के उम्मेदसिंह बिठू से हुआ। चौथे पुत्र श्री सत्यदेवसिंह का विवाह बीकानेर जिले के सिहथल गाँव के नरसिंहदानजी की पुत्री निर्मला कुँवर के साथ हुआ। पाचवे पुत्र महेंद्रसिंह का विवाह सीकर जिले के चारणों की ढाणी (रामदयालजी का बास) के श्री भगीरथसिंहजी की सुपुत्री चन्द्रकला के साथ हुआ।

बिज्जी की कर्म भूमि राजस्थान स्वयं पैतृक गाँव बोरुंदा ही रही । प्रारम्भ में 1953 से 1955 तक बिज्जी ने हिन्दी मासिक ‘प्रेरणा’ का सम्पादन किया। तत्पश्चात हिन्दी त्रैमासिक रूपम, राजस्थानी शोध पत्रिका परम्परा, लोकगीत, गोरा हट जा, राजस्थान के प्रचलित प्रेमाख्यान का विवेचन, जैठवै रा सोरठा व और कोमल कोठारी के साथ संयुक्त रूप से वाणी ह और लोक संस्कृति का सम्पादन किया। विजयदान देथा की लिखी कहानियों पर दो दर्जन से ज्यादा फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें मणि कौल द्वारा निर्देशित ‘दुविधा’ पर अनेक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 1986 में उनकी कथा पर चर्चित फिल्म – निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा द्वारा निर्देशित फिल्म “परिणीति” काफी प्रशंसनीय रही राजस्थान साहित्य अकादमी 1972-73 में उन्हें विशिष्ट साहित्यकार के रूप में सम्मानित कर चुकी है। रंगकर्मी हबीब तनवीर ने विजयदान देथा की लोकप्रिय कहानी ‘चरणदास चोर’ को नाटक का स्वरूप प्रदान किया था और श्याम बेनेगल ने इस पर एक फिल्म भी बनाई थी। दुविधा पर अमोल पालेकर द्वारा बनाई गई फिल्म ‘पहेली’ को ऑस्कर पुरस्कार हेतु नामांकित किया गया।

राजस्थानी भाषा मे करीब 800 से अधिक लघुकथाएं लिखने वाले विजयदान देथा की कृतियों का हिंदी, अंग्रेजी समेत विभिन्न भाषाओं में, अनुवाद किया गया। विजयदान देथा ने कविताएँ भी लिखीं और उपन्यास भी। राजस्थानी भाषा मे 14 खण्डों में प्रकाशित “बाता री फुलवारी” के दसवें खण्ड को भारतीय राष्ट्रीय साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया हैं, जो कि राजस्थानी कृति पर पहला पुरुस्कार है। 2007 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित विजयदान देथा को इसके अतिरिक्त राजस्थान रत्न अंलंकरण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वे प्रथम राजस्थानी व्यक्ति है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, मरूधरा पुरस्कार, भारतीय भाषा2 परिषद पुरस्कार, चूड़ा मणि पुरस्कार भी प्रदान किए गए। 87 वर्ष की उम्र में 10 नवंबर, 2013 रविवार के दिन दिल का दौरा पडने से बोरुंदा गांव (जोधपुर) में आपका निधन हो गया जो समाज के और साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।


 

पुरस्कार और सम्मान

१९७४साहित्य अकादमी पुरस्कार
१९९२भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार
१९९५मरुधारा पुरस्कार
२००२बिहारी पुरस्कार
२००६साहित्य चूड़ामणि पुरस्कार
२००७पद्मश्री
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दुविधा१९७३दुविधा
चरणदास चोर१९७५चरणदास चोर
परिणति१९८६परिणति
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