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डॉ. अंबादान खीमराजभाई रोहड़िया

डॉ. अंबादान खीमराजभाई रोहड़िया

 पुरा नामडॉ. अंबादान खीमराजभाई रोहड़िया
 जन्म व जन्म स्थान01/04/1959 राजकोट गुजरात
विशेष प्रवृत्ति
  • पूर्व नियामक, झवेरचंद मेघाणी लोकसाहित्य केन्द्र, सौराष्ट्र युनिवर्सिटी(2011-2021)
  • पूर्व सदस्य, युनिवर्सिटी ग्रंथ निर्माण बोर्ड, गुजरात राज्य (2013-2018)
  • पूर्व सदस्य, गुजराती भाषा-साहित्य सलाहकार समिति, साहित्य अकादमी, दिल्ली (2013-2018)
  • अध्यक्ष, भारतीय इतिहास संकलन समिति, गुजरात(2020 से )
  • पूर्व प्रमुख, गुजरातीनो अध्यापक संघ (2019)
  • गुजराती लिटरेरी एकेडमी ऑफ नॉर्थ अमेरिका के 10 वें अधिवेशन में चारणी साहित्य विशेषज्ञ – वक्ता के रूप में अमेरिका में व्याख्यान (2016)
  • हिंगलाज (बलूचिस्तान) की एवं इंग्लैंड की सांस्कृतिक यात्राओं में बतौर विशेषज्ञ सहभागिता (2005,2017)
सम्मान और पारितोषिक
  • कविश्री दुला काग लोकसाहित्य अवार्ड.
  • राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर का प्रवासी राजस्थानी संशोधक सम्मान (2013)
  • चारण – गढ़वी अंतरर्राष्ट्रीय फाउंडेशन की ओर से एक्सीलेंस अवार्ड (2015, 2020)
  • प्रमुख स्वामी जन्म शताब्दी समारोह निमित्त अहमदाबाद में आयोजित समारोह में सम्मानित (2022)
 जीवन परिचय

सद्द्घाहित्य के उपासक डॉ. अम्बादान रोहड़िया – श्री ओंकारसिंह लखावत

मेरी लेखिनी आज उस व्यक्तित्व के बारे में चल रही है जिसने सद् साहित्य के संवर्द्धन एवं प्रचार हेतु अपने जीवन को समर्पित कर रखा है। जब भी उनका मिलन होता है तो बात घर-गृहस्थी की दुनियादारी से दूर, लोभ ग्रन्थि से सुदूर भक्ति साहित्य और वीर गाथा काल के कवियों की रचनाओं के छन्दों के मकडजाल से सुलझाते हुए मिल जाएगे डॉ. श्री अम्बादान रोहड़िया।

साहित्य का ऐसा कोई पहलू नहीं जिससे डॉ. रोहड़िया अनभिज्ञ हो। साहित्य और वह भी चारणी साहित्य का डिंगल और पिंगल पक्ष और उसमें अत्यधिक सरलता से अपना पुट देते हुए सहजता और विनम्रता के आभूषण से मण्डित यदि कोई व्यक्ति बात कहता हुआ मिल जाए तो समझिए वे डॉ. श्री अम्बादान रोहड़िया है।

डॉ. श्री अम्बादान रोहड़िया ने खूब लिखा और लिखने के लिए खूब पढ़ा। आज तो ढाई अक्षर पढ़े बिन लोग साहित्यकारों की सभा में अपना स्थान हथिया लेते हैं। परन्तु मैंने इतना ज्ञानी और साहित्य के मर्मज्ञ होने के बावजूद डॉ. श्री रोहड़िया को उस जगत में सम्मिलित नहीं पाया। यही तो विशेषता है जिसके बारे में मुझे कुछ लिखने का साहस हुआ ।

साहित्य सृजन करना और वह भी सदियों तक आत्मा को झंकृत करने वाले को समीक्षा और समालोचना अत्यधिक सरलता से प्रस्तुत करने की क्षमता डॉ. रोहड़िया में है। उनके साहित्य के पात्र भक्तिकाल और वीरगाथा काल के वे कवि है। जिन्होंने कालजयी रचनाएँ रची।

डॉ. श्री रोहड़िया ने आम आदमी के मन के साहित्य से ओतप्रोत करने और मरन के बाद भी जिन्दा रहने की उत्कण्ठा उत्पन्न करने का कार्य अत्यधिक सुगमता से सम्पन्न किया है, कर रहे है और मुझे आशा है कि करते रहेंगें! वे एक अच्छे शिक्षक है और नव लेखकों के मार्गदर्शक भी। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। साहित्यकार विश्वविद्यालय में अध्यापक और ऊपर से चारण फिर भी श्री अम्बादान जी सबके प्रिय है। श्री अम्बादान जी की यही गुणवत्ता आम समाज को सद्कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। सबको साथ लेकर चल लेना और खुद के सेहरा बंधवाने की इच्छा नहीं रखना उनकी विशेषता है। वे मेरे मित्र है, ज्यादा गुणों का बखान करना मेरे लिए तो नहीं परन्तु उनके लिए कितना सार्थक होगा मैं नहीं कह सकता । मैं किसी की तारीफ करने में अत्यधिक कंजूस हूँ, परन्तु यह लिखते समय पता नहीं मेरी कंजूसी की मंजूषा का ताला कैसे खुल गया मैं नहीं जानता । यह तो केवल श्री अम्बादान जी की गुणवत्ता ही है जिसने सबको प्रभावित किया। उनके साहित्य सृजन पर अनेक लोग लिखेंगे और इसलिए मैंने जैसा उनको देखा उसके एक पक्ष की झलक पाठक के लिए प्रस्तुत की है। वे ऐसे ही बने रहें। आज के साहित्यिक प्रदूषण का उन पर असर न हो, माँ भगवती से यही प्रार्थना करता हूँ।

~(पूर्व सांसद राज्यसभा, हाईकोर्ट रोड, अजमेर राजस्थान)

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   डॉ. अम्बादान रोहड़िया के अन्य         प्रकाशनों

    प्रकाशित ग्रंथ

  1. चारणी साहित्य विमर्श (संशोधन – विवेचन), 1992
  2. कागआई माहात्म्य (संशोधन – संपादन), 1996
  3. चारणी साहित्य संदर्भ (विवेचन), 1998
  4. साहित्याभिमुख (विवेचन), 1999
  5. जालंधरपुराण -1 (संशोधन – संपादन), 1999
  6. अवगाहन (संशोधन विवेचन), 2000
  7. जालंधरपुराण-2 (संशोधन – संपादन), 2000
  8. अस्मिता अने अनुसंधान (संशोधन – विवेचन), 2001
  9. साहित्यने सीमाडे (संशोधन – विवेचन), 2002
  10. शब्दोपासना (संशोधन- विवेचन), 2003
  11. वाणी तो अमरत वदां (संपादन), 2003
  12. संशप्तक (संशोधन विवेचन), 2004
  13. भृंगीपुराण (संशोधन – विवेचन), 2005
  14. चारण कवि चरित्र (संपादन), 2006
  15. सोपान (संशोधन विवेचन), 2007
  16. चारणी साहित्य विभिन्न परिप्रेक्ष्य (संशोधन विवेचन), 2008
  17. चारणी साहित्य वारसो अने वैभव (संशोधन – विवेचन), 2008
  18. चारणी साहित्य: सर्जन अने भावन (संशोधन – विवेचन), 2008
  19. चारणी साहित्य पूजा अने परीक्षा (संशोधन – विवेचन), 2009
  20. भृंगीपुराण (संशोधन – संपादन), 2010
  21. शब्दायन (संशोधन विवेचन), 2011
  22. जालंधरपुराण (संपादन), 2016
  23. चारणी साहित्य अने लोकसाहित्य (संशोधन – विवेचन), 2020
  24. चारणी साहित्य विविध संदर्भे (संशोधन – विवेचन), 2020
  25. चारणी साहित्य समीपे (2022)
  26. चारणी साहित्य: मणिमाला(2023)

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  सहलेखन, संशोधन अने संपादन

  1. आसाजी रोहड़िया (संशोधन- विवेचन) 1989
  2. लांगीदास महेडु कृत ‘संत स्मरण’ (संशोधन – संपादन) 1990
  3. सांयाजी झूला कृत ‘रुक्मिणीहरण’ (संशोधन – संपादन) 1992
  4. चारण सर्जक परिचय, भाग – 1 (संशोधन – विवेचन) 1995
  5. हरदास मिसण कृत ‘सभापर्व ‘ (संशोधन – संपादन) 1998
  6. स्वर्ग भूलावुं शामळा (संशोधन – विवेचन) 1998
  7. अधीत -22/23 (सहसंपादन) 2000
  8. अधीत -24 (सहसंपादन) 2001
  9. अधीत -25 (सहसंपादन) 2003
  10. अधीत -26 (सहसंपादन) 2004
  11. हरिरस (सहसंपादन) 2005, 2019
  12. गुणनिंदा – स्तति (सहसंपादन) 2005, 2019
  13. हाला झाला रा कुण्डळिया (सहसंपादन) 2005, 2019
  14. अधीत -27 (सहसंपादन) 2005
  15. अधीत -28 (सहसंपादन) 2006
  16. लोकसाहित्य -1 (सहलेखन) 2006
  17. लोकसाहित्य -2 (सहलेखन) 2007
  18. तुलनात्मक साहित्य (सहलेखन) 2007
  19. अधीत -29 (सहसंपादन) 2007
  20. कच्छ दर्शन (सहसंपादन) 2008, 2019
  21. उत्तर गुजरातनी लोकवार्ता: स्वाध्याय अने सर्वेक्षण (सहसंपादन) 2008
  22. ‘विचारभारती’ नो साहित्यकार परिचयांक (संपादन) 2009
  23. समिध -4 (संपादन) 2010
  24. ‘राजभाषा’ नो चारणी साहित्य विशेषांक (सहसंपादन) 2012
  25. अलगारीनी ओळख (संपादन) 2019

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