पुरा नाम | डॉ. अंबादान खीमराजभाई रोहड़िया |
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जन्म व जन्म स्थान | 01/04/1959 राजकोट गुजरात |
विशेष प्रवृत्ति | |
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सम्मान और पारितोषिक | |
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जीवन परिचय | |
सद्द्घाहित्य के उपासक डॉ. अम्बादान रोहड़िया – श्री ओंकारसिंह लखावत मेरी लेखिनी आज उस व्यक्तित्व के बारे में चल रही है जिसने सद् साहित्य के संवर्द्धन एवं प्रचार हेतु अपने जीवन को समर्पित कर रखा है। जब भी उनका मिलन होता है तो बात घर-गृहस्थी की दुनियादारी से दूर, लोभ ग्रन्थि से सुदूर भक्ति साहित्य और वीर गाथा काल के कवियों की रचनाओं के छन्दों के मकडजाल से सुलझाते हुए मिल जाएगे डॉ. श्री अम्बादान रोहड़िया। साहित्य का ऐसा कोई पहलू नहीं जिससे डॉ. रोहड़िया अनभिज्ञ हो। साहित्य और वह भी चारणी साहित्य का डिंगल और पिंगल पक्ष और उसमें अत्यधिक सरलता से अपना पुट देते हुए सहजता और विनम्रता के आभूषण से मण्डित यदि कोई व्यक्ति बात कहता हुआ मिल जाए तो समझिए वे डॉ. श्री अम्बादान रोहड़िया है। डॉ. श्री अम्बादान रोहड़िया ने खूब लिखा और लिखने के लिए खूब पढ़ा। आज तो ढाई अक्षर पढ़े बिन लोग साहित्यकारों की सभा में अपना स्थान हथिया लेते हैं। परन्तु मैंने इतना ज्ञानी और साहित्य के मर्मज्ञ होने के बावजूद डॉ. श्री रोहड़िया को उस जगत में सम्मिलित नहीं पाया। यही तो विशेषता है जिसके बारे में मुझे कुछ लिखने का साहस हुआ । साहित्य सृजन करना और वह भी सदियों तक आत्मा को झंकृत करने वाले को समीक्षा और समालोचना अत्यधिक सरलता से प्रस्तुत करने की क्षमता डॉ. रोहड़िया में है। उनके साहित्य के पात्र भक्तिकाल और वीरगाथा काल के वे कवि है। जिन्होंने कालजयी रचनाएँ रची। डॉ. श्री रोहड़िया ने आम आदमी के मन के साहित्य से ओतप्रोत करने और मरन के बाद भी जिन्दा रहने की उत्कण्ठा उत्पन्न करने का कार्य अत्यधिक सुगमता से सम्पन्न किया है, कर रहे है और मुझे आशा है कि करते रहेंगें! वे एक अच्छे शिक्षक है और नव लेखकों के मार्गदर्शक भी। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। साहित्यकार विश्वविद्यालय में अध्यापक और ऊपर से चारण फिर भी श्री अम्बादान जी सबके प्रिय है। श्री अम्बादान जी की यही गुणवत्ता आम समाज को सद्कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। सबको साथ लेकर चल लेना और खुद के सेहरा बंधवाने की इच्छा नहीं रखना उनकी विशेषता है। वे मेरे मित्र है, ज्यादा गुणों का बखान करना मेरे लिए तो नहीं परन्तु उनके लिए कितना सार्थक होगा मैं नहीं कह सकता । मैं किसी की तारीफ करने में अत्यधिक कंजूस हूँ, परन्तु यह लिखते समय पता नहीं मेरी कंजूसी की मंजूषा का ताला कैसे खुल गया मैं नहीं जानता । यह तो केवल श्री अम्बादान जी की गुणवत्ता ही है जिसने सबको प्रभावित किया। उनके साहित्य सृजन पर अनेक लोग लिखेंगे और इसलिए मैंने जैसा उनको देखा उसके एक पक्ष की झलक पाठक के लिए प्रस्तुत की है। वे ऐसे ही बने रहें। आज के साहित्यिक प्रदूषण का उन पर असर न हो, माँ भगवती से यही प्रार्थना करता हूँ। ~(पूर्व सांसद राज्यसभा, हाईकोर्ट रोड, अजमेर राजस्थान) |
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डॉ. अम्बादान रोहड़िया के अन्य प्रकाशनों
प्रकाशित ग्रंथ
- चारणी साहित्य विमर्श (संशोधन – विवेचन), 1992
- कागआई माहात्म्य (संशोधन – संपादन), 1996
- चारणी साहित्य संदर्भ (विवेचन), 1998
- साहित्याभिमुख (विवेचन), 1999
- जालंधरपुराण -1 (संशोधन – संपादन), 1999
- अवगाहन (संशोधन विवेचन), 2000
- जालंधरपुराण-2 (संशोधन – संपादन), 2000
- अस्मिता अने अनुसंधान (संशोधन – विवेचन), 2001
- साहित्यने सीमाडे (संशोधन – विवेचन), 2002
- शब्दोपासना (संशोधन- विवेचन), 2003
- वाणी तो अमरत वदां (संपादन), 2003
- संशप्तक (संशोधन विवेचन), 2004
- भृंगीपुराण (संशोधन – विवेचन), 2005
- चारण कवि चरित्र (संपादन), 2006
- सोपान (संशोधन विवेचन), 2007
- चारणी साहित्य विभिन्न परिप्रेक्ष्य (संशोधन विवेचन), 2008
- चारणी साहित्य वारसो अने वैभव (संशोधन – विवेचन), 2008
- चारणी साहित्य: सर्जन अने भावन (संशोधन – विवेचन), 2008
- चारणी साहित्य पूजा अने परीक्षा (संशोधन – विवेचन), 2009
- भृंगीपुराण (संशोधन – संपादन), 2010
- शब्दायन (संशोधन विवेचन), 2011
- जालंधरपुराण (संपादन), 2016
- चारणी साहित्य अने लोकसाहित्य (संशोधन – विवेचन), 2020
- चारणी साहित्य विविध संदर्भे (संशोधन – विवेचन), 2020
- चारणी साहित्य समीपे (2022)
- चारणी साहित्य: मणिमाला(2023)
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सहलेखन, संशोधन अने संपादन
- आसाजी रोहड़िया (संशोधन- विवेचन) 1989
- लांगीदास महेडु कृत ‘संत स्मरण’ (संशोधन – संपादन) 1990
- सांयाजी झूला कृत ‘रुक्मिणीहरण’ (संशोधन – संपादन) 1992
- चारण सर्जक परिचय, भाग – 1 (संशोधन – विवेचन) 1995
- हरदास मिसण कृत ‘सभापर्व ‘ (संशोधन – संपादन) 1998
- स्वर्ग भूलावुं शामळा (संशोधन – विवेचन) 1998
- अधीत -22/23 (सहसंपादन) 2000
- अधीत -24 (सहसंपादन) 2001
- अधीत -25 (सहसंपादन) 2003
- अधीत -26 (सहसंपादन) 2004
- हरिरस (सहसंपादन) 2005, 2019
- गुणनिंदा – स्तति (सहसंपादन) 2005, 2019
- हाला झाला रा कुण्डळिया (सहसंपादन) 2005, 2019
- अधीत -27 (सहसंपादन) 2005
- अधीत -28 (सहसंपादन) 2006
- लोकसाहित्य -1 (सहलेखन) 2006
- लोकसाहित्य -2 (सहलेखन) 2007
- तुलनात्मक साहित्य (सहलेखन) 2007
- अधीत -29 (सहसंपादन) 2007
- कच्छ दर्शन (सहसंपादन) 2008, 2019
- उत्तर गुजरातनी लोकवार्ता: स्वाध्याय अने सर्वेक्षण (सहसंपादन) 2008
- ‘विचारभारती’ नो साहित्यकार परिचयांक (संपादन) 2009
- समिध -4 (संपादन) 2010
- ‘राजभाषा’ नो चारणी साहित्य विशेषांक (सहसंपादन) 2012
- अलगारीनी ओळख (संपादन) 2019