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ठाकुर कृष्णसिंह बारहठ

ठाकुर कृष्णसिंह बारहठ

ठाकुर कृष्णसिंह बारहठ का जीवन परिचय

 

पूरा नाम ठाकुर कृष्णसिंह बारहठ
माता पिता का नाम पिता का नाम ओनासिंहजी और माता का नाम शृंगारकुँवर था जो कविराजा श्यामलदासजी की बड़ी सहोदरा थीं। इस रिश्ते से कविराजा श्यामलदासजी उन के मामा हुए।
जन्म व जन्म स्थान जन्म शाहपुरा राज्यान्तर्गत उनके पैतृक गाँव देवपुरा में फाल्गुन सुदी एकम शुक्रवार वि. सं. 1906 तदनुसार सन् 1850 को हुआ था।
स्वर्गवास
देहावसान सन् 1907 में जोधपुर में हुआ।
अन्य
राजस्थान में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की अलख जगाने वाले तथा अपनी तीन पीढ़ियों को क्रांतियज्ञ में आहूत करने वाले ठाकुर केसरी सिंह बारहठ व जोरावरसिंह बारहठ इनके पुत्र थे। ये शाहपुरा राजाधिराज नाहरसिंह की तरफ से उदयपुर महाराणा सज्जनसिंह के दरबार में वकील थे। उदयपुर महाराणा, कृष्णसिंह की योग्यता से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने कृष्णसिंह को शाहपुरा राजाधिराज की तरफ से वकील होने के साथ-साथ अपना सलाहकार भी नियुक्त कर दिया। कृष्णसिंह के सम्बन्ध में इतिहासकारों ने लिखा है कि वे महर्षि दयानन्द सरस्वती के तीन प्रमुख शिष्यों में से एक थे। प्रथम, अमर-शहीद स्वामी श्रद्धानन्द, द्वितीय, महान क्रान्तिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा, मांडवी (गुजरात) जिन्हें महर्षि ने बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए आक्सफोर्ड भिजवाया था। और तृतीय कृष्णसिंहजी, जिनके साथ उनकी गाढ़ी मैत्री थी।

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