आदरणीय विद्वतजन……
सादर जय माताजी री…..
मैंने चारण मनस्विनी महिलाओं के आत्मोत्सर्ग (जमर)पर एक किताब लिखी है जिसका नाम है – ‘आत्मोत्सर्ग का आलोक’ इसमें उन सत्याग्रही देवियों की उत्सर्ग की गौरव गाथाएं संकलित हैं,जिन्होंने लोकहित की रक्षार्थ आत्मोत्सर्ग किया था। पर्यावरण संरक्षण, निरीह पशुओं की रक्षार्थ,जातीय स्वाभिमान की रक्षार्थ, स्त्री सम्मान के रक्षण एवं शरणागतों की रक्षार्थ उन मातृशक्तियों ने स्वहित की जगह परहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर वो इतिहास निर्मित कर गई जिसके बूते हम आज भी गौरवांवित हैं। हमारी मातृशक्ति ने यथा राजपूत,जाट, सुथार, दर्जी, मेघवाल, खत्री, वणिक, आदि के सम्मान की रक्षार्थ आत्मबलिदान दिया| विमोचन समारोह में अतिथियों का निर्देश था कि उक्त पुस्तक निशुल्क उपहार में न देकर सशुल्क दी जाए ताकि हमारे साहित्य को संरक्षण व प्रोत्साहन मिलें।यही नहीं उसके प्रकाशन का सातत्य भी बना रहे। अतः उक्त पुस्तक का प्रिंट मूल्य तो 999रु. हैं परंतु साहित्य व संस्कृति के प्रेमियों को केवल 500रु. व डाक खर्च में उपलब्ध करवाई जाएगी। जिस किसी सज्जन की इच्छा हों तो नीचे लिखें फोन पे पर राशि जमा करवाकर मंगवाई जा सकती है। प्रतियां बहुत सीमित हैं।
कालीचरण रतनू – 8690385323
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आत्मोत्सर्ग का आलोक
(लोक पूज्य चारण देवियों की उत्सर्ग गौरव गाथाएं)
लेखक – गिरधरदान रतनू दासोड़ी