जन्म | 10 मई 1954 |
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जन्म स्थान | मथाणिया, जोधपुर, राजस्थान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रिंधरोही, धरमजुद्ध, मुगतीगाथा, विरासत, बलिदान, घर तौ एक नाम है भरोसै रौ | |
विविध | |
राजस्थानी लोकनाट्यों पर विशेष शोध कार्य, प्रतिष्ठित नाट्य निर्देशक, नाटककार, राजस्थानी साहित्य के आलोचक | |
जीवन परिचय | |
डॉ. चारण का जन्म 10 मई 1954 को जोथपुर के मथानीया गांव में हुआ था। उनके पिता रेंवतदानजी चारण भी एक प्रख्यात राजस्थानी कवि और समाजवादी थे। अर्जुनदेव चारण, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में राजस्थानी भाषा विभाग के प्रमुख रहे हैं। उन्हें 26 नवंबर 2011 को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के अध्यक्ष के रूप में तीन साल के लिए चुने गये। जोधपुर के डॉ. अर्जुनदेव चारण को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली केअध्यक्ष, उपाध्यक्ष चुने गये। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के इतिहास में पहली बार किसी राजस्थानी लेखक और नाट्य निर्देशक को यह पद मिला है। डॉ. चारण केन्द्रीय साहित्य अकादमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक भी है। पुरस्कार
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अर्जुनदेव चारण की रचनाओं के लिए कविता/आलेख के शीर्षक पर क्लिक करें-
1.राजस्थानी कविता-संग्रह
- रिंधरोही ..
- घर तौ एक नाम है भरोसै रौ
2. राजस्थानी कविताएँ
- मांगत ..
- पाखी ..
- केइ वार ..
- पद्मणी ..
- कृष्णाकुमारी ..
3. राजस्थानी से हिन्दी में अनूदित
- कविताएँ
- गौरी ..
- तुम्हारी गाथा ..
- वह भेजता है तुम्हें ..
- दु:ख ..
- गहरे तहखाने ..
- उसका विलाप ..
- अर्गला ..
- ये पोथियां ..
- तुम्हारे हौसलों के मार्ग ..
- मेहंदी का अर्थ ..
- आसरा ..
- उसके पास ..
- मन.. ..