मूऴजी करमसोत रो मरसियो – लाऴस उमरदानजी रो कह्यौ
गाँव धणारी के राठौड़ मूऴजी करमसोत, जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय के समय नागौर के हाकिम थे, वे बहुत उदारमना एंव काव्य-प्रेमी तथा चारणों का अति-विशिष्ठ सम्मान करने वाले व्यक्ति थे।…
गाँव धणारी के राठौड़ मूऴजी करमसोत, जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय के समय नागौर के हाकिम थे, वे बहुत उदारमना एंव काव्य-प्रेमी तथा चारणों का अति-विशिष्ठ सम्मान करने वाले व्यक्ति थे।…
!! कवित्त !! कविया हिंगऴाजदान जी रचित !! कविया श्री हिंगऴाजदानजी भगवती के अनन्य उपासक थे, माँ उनकी हर पुकार पर आधे हैलै हाजर होती थी, उस समय की परिस्थितियों…
!! राजस्थानी भाषा !! ========================= संसार की किसी भी भाषा की समृद्धता उसके शब्दकोष और अधिकाधिक संख्या मे पर्यायवाची शब्दो का होना ही उसकी प्रामाणिकता का पुष्ट प्रमाण होता है।…
!! कवित्त !! धराके हिये में ध्यान राम अवधेश जूको, मात पितु मेरे ताके चर्ण सीस नाऊँ मैं ! सदगुरू सुजान निज ईश्वर समान मान, जाकी कृपादृष्टि हुते वांछितफल पाऊँमैं…
दोहा !! इऴा न देणी आपणी, हालरिये हुलराय ! पूत सिखावै पालणै, मरण बङाई माय !! सज मुखमलरी सेज, नरसोवै हुयहुय निसंक ! बै कांटा रा बेज, रती न जाणै…
कवित्त !! सन्नी जमराज दोऊ धारत महीषन को, मृग पे मयंक अर्क अश्व पे दिखात है ! ब्रह्मा अरू सुरसती हंस पे सवार बनें, तारख पे विष्णु मैन मीन पे…
!! सवैया !! !! माधोरामजी कायस्थ !! बालपनै प्रतिपाल करी हम, जानि सही तूँ गरीबनवाज है ! योवन में तन ताप हरी तुम, मेल दिये सब ही सुख साज है…
!! नागदमण !! नागराज रो दमण श्रीकिशन जी करियो ने उणरी कवितावां लेख अनैक कविगण व लेखक करियो, उणीज उपर फिल्मां बणी ने नाटक रचिजिया, चावा ठावा चारण भक्त भी…
प्रातः निवेदन अंम्बा ओयणरीह, छाया रख छत्रैस्वरी ! दिल मझ दोयणरीह, व्यापै ताप न बीसहथ ! !! छप्पय !! रिच्छाकर राखिया, ज्वाऴ बाऴा मंजारी ! रिच्छाकर राखिया, नाथ गौरख नरनारी…
!!छप्पय !! चूंडा दधवाङिया कृत !! आप हूंत आकास, पवन आकास प्रसन्नौ ! पवंण हूंत तत तेज, तेज पांणी ऊपन्नौ ! पांणी हूंता प्रिथी, प्रिथी गुण पंच प्रगट्टा ! पंच…