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Tag: कवि मनुज देपावत

आ बतलाऊँ क्यों गाता हूँ ? – कवि मनुज देपावत (देशनोक)

आ बतलाऊँ क्यों गाता हूँ ? नभ में घिरती मेघ-मालिका, पनघट-पथ पर विरह गीत जब गाती कोई कृषक बालिका ! तब मैं भी अपने भावों के पिंजर खोल उड़ाता हूँ…

भव का नव निर्माण करो हे- कवि मनुज देपावत (देशनोक)

भव का नव निर्माण करो हे ! यद्यपि बदल चुकी हैं कुछ भौगोलिक सीमा रेखाएँ; पर घिरे हुए हो तुम अब भी इस घिसी व्यवस्था की बोदी लक्ष्मण लकीर से…

आज जीवन गीत बनने जा रहा है- कवि मनुज देपावत (देशनोक)

आज जीवन गीत बनने जा रहा है ! ज़िंदगी के इस जलधि में ज्वार फिर से आ रहा है ! छा गई थी मौन पतझड़ की उदासी, गान जब से…

मैं किसी आकुल ह्रदय की प्रीत लेकर क्या करूंगा- कवि मनुज देपावत (देशनोक)

मैं किसी आकुल ह्रदय की प्रीत लेकर क्या करूंगा ! सिकुड़ती परछाइयाँ, धूमिल-मलिन गोधूलि-बेला ! डगर पर भयभीत पग धर चल रहा हूँ मैं अकेला ! ज़िंदगी की साँझ में…

मैं प्रलय वह्नि का वाहक हूँ – कवि मनुज देपावत

मैं प्रलय वह्नि का वाहक हूँ ! मिट्टी के पुतले मानव का संसार मिटाने आया हूँ ! शोषित दल के उच्छवासों से, वह काँप रहा अवनी अम्बर ! उन अबलाओं…

तुम कहते संघर्ष कुछ नहीं, वह मेरा जीवन अवलंबन- कवि मनुज देपावत देशनोक

तुम कहते संघर्ष कुछ नहीं, वह मेरा जीवन अवलंबन ! जहाँ श्वास की हर सिहरन में, आहों के अम्बार सुलगते ! जहाँ प्राण की प्रति धड़कन में, उमस भरे अरमान…

लोहित मसि में कलम डुबाकर कवि तुम प्रलय छंद लिख डालो- कवि मनुज देपावत (देशनोक)

लोहित मसि में कलम डुबाकर कवि तुम प्रलय छंद लिख डालो।। अम्बर के नीलम प्याले में ढली रात मानिक मदिरा-सी। कर जग को बेहोश चाँदनी बिखर गई मदमस्त सुरा-सी। तुमने…

प्रताप की बलिदान कहानी – मनुज देपावत (देशनोक)

दीप शिखा के परवाने की यह बलिदान कहानी है ! यह बात सभी ने जानी है ! अत्याचारी अन्यायी ने अन्याय किया भारत भू पर। डोली थी डगमग वसुंधरा, वह…

रे धोरां आळा देस जाग– मनुज देपावत (देशनोक)

धोराँ आळा देस जाग रे ऊँटाँ आळा देस जाग। छाती पर पैणा पड़्या नाग रे धोराँ आळा देस जाग।। उठ खोल उनींदी आँखड़ल्यां नैणाँ री मीठी नींद तोड़। रे रात…