हिंगळाज माताजी री स्तुति – कवि रामचंद्र मोडरी (राणेसर)
।।छंद-बिअख्खरी।। अकळ पंथ कपारो अक्कळ। कहिए खी मोथ कुंड कज्जळ। कोहला परबत राय सकोमळ। आदि अनादि हिंगोळ अणंकळ।।1।। ।।दोहा।। कुंड कणिर अघोर कुंड, चंद्रकूप कुंड चाय। सुरज कुंड जणिथे सळे,…
।।छंद-बिअख्खरी।। अकळ पंथ कपारो अक्कळ। कहिए खी मोथ कुंड कज्जळ। कोहला परबत राय सकोमळ। आदि अनादि हिंगोळ अणंकळ।।1।। ।।दोहा।। कुंड कणिर अघोर कुंड, चंद्रकूप कुंड चाय। सुरज कुंड जणिथे सळे,…
॥दोहा॥ आद भवानी ईसरी, मोर भवानी माय। कळा रचै अब कांमणी, रमै गिरंदां राय॥ 1 ॥ ॥छंद: नाराच॥ भमंक अंज काळ भंज सिंघ संज सज्जियै। झमंक झंझ ताळ खंज वीर…
हिंगळाज माताजी री स्तुति। कविराज बचुभाई (जीवा भाई रोहडिया) गढवी जो गुजरात रा एक प्रसिध्ध वारताकार (बातपोश) हा। दोहा चाहत जिणने वृंद सुर,चारण सिध्ध मुनीन्द्र। ढूंढत है नित ध्यान मंह,करण…
पाकिस्तान में स्थित कई प्राचीन हिंदू मंदिरों में से सबसे ज़्यादा महत्व जिन मंदिरों का माना जाता है उन्हीं में से एक है हिंगलाज माता का मंदिर. ये वही स्थान…