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Tag: गिरधरदान रतनू “दासोड़ी

गीत सांगा मैणा रो- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

17वीं शताब्दी के श्रेष्ठ कवि महकरण मेहडू उर्फ जाडा मेहडू जो अपने समय के निर्भीक व बेबाक कवि के रूप में साहित्यिक जगत में विश्रुत है। इन्हीं के पुत्र कल्याणदास…

चिड़कली ~ गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

आदरणीय डॉ.आईदानसिंहजी भाटी री ओल़ी चिड़कली सूं प्रेरित कीं म्हारी ओल़्यां ऐ नजर तूं तो भोल़ी भाऴ चिड़कली। दुनिया गूंथै जाऴ चिड़कली।। धेख धार धूतारा घूमै। आल़ै आल़ै आऴ चिड़कली।। मारग…

कवियण वंदन काग – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गिरधर दान रतनू “दासोड़ी” द्वारा गुजराती अर डिंगल़ रा महामनीषी विद्वान अर ऋषि तुल्य पूज्य दूलाभाया काग नै सादर कवियण वंदन काग दूहा सरस भाव भगती सहित, राम मिलण री…

नेह रो दरियाव दिवलो – गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

दीपर्यो सुख-धाम में, ओ राम रो पैगाम दिवलो। नेह रो दरियाव दिवलो, गेह नै उपहार दे। श्याम-बदना रात रै, झट गात नै सिंणगार दे। तन बाल़ जोबन गाल़ नै, उपकार…

रँग शीलां रखवाल़िया, जोर झिणकली झाड़ – गिरधरदान रतनू ”दासोडी”

एक जमानो हो जद अठै रा नर-नारी मरट सूं जीवण जीवता अर सत रै साथै पत रै मारग बैवता। हालांकै धरती बीज गमावै नीं आज ई ऐड़ा लोग है जद…

सेवामें श्रीमानजी, एक शिकायत ऐह….

कवि गिरधर दान रतनू “दासोडी” द्वारा “काव्य-कलरव” अर “डिंगळ री डणकार” ग्रुप रा कवियों ने निश्क्रिय रेवण सूं दियौडौ एक ओळभो देती कलरव अर डिंगल़ री डणकार रा मुख्य-संरक्षक / संरक्षक…

देवल माँ- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

।।दूहा।। माडधरा में माड़वो, पहुमी बडी पवीत। सदन भलै रै शंकरी, अवतारी अघजीत।।1 देवल भलियै दीकरी, है बीजी हिंगल़ाज। प्रगट माड परमेसरी, सगतां री सिरताज।।2 माडधरा में माड़वै, धर खारोड़ै…

गीत प्रहास साणोर देवल माँ-गिरधरदान रतनू दासोड़ी

।।गीत प्रहास साणोर।। भलै सोढवत धरै तूं अवतरी माड भू साच मन ईहगां वाच सेवी वीरी तणै उदर रमी तूं बीसहथ देवला रूप हिंगल़ाज देवी१ साहल़ां सांभल़ै बधारै संतजन देव…

मेघवाल़ होयो तो कांई ? म्है इण नैं भाई मानूं- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

माड़ रो माड़वो गाम जूनो सांसण। नैणसी, हमीर जगमालोत रो दियो लिखै तो उठै रा वासी उणस़ूं ई पुराणो मानै। इणी गांम में सोढैजी संढायच रै दो बेटा – अखोजी…

महाशक्ति देवलजी- गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

महाशक्ति देवल जिन्होंने अपने पिता की जागीर का चौथा हिस्सा अपने पिता के सेवक जो कि बेघड़ जाति का मेघवाल था को देकर बनाया था जमींदार। आजादी के बाद, उस…