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Tag: गिरधरदान रतनू “दासोड़ी

रहसी रै सुरताणिया!

रहसी रै सुरताणिया! वीरता अर वीर आज ई अमर है तो फखत कवियां या कविता रै पाण। क्यूंकै कवि री जबान माथै अमृत बसै अर उण जबान माथै जिको ई…

गीत :- मोहनसिंहजी रतनू चौपासणी रो – गिरधरदान रतनू

गीत -मोहनसिंहजी रतनू चौपासणी रो- गिरधरदान रतनू गीत-सोहणो मन में नहीं गरब सरब रो मित्र, छल़ प्रपंचां दूर छतो। हंसमुख हरस मिलै हूताल़ु, मोहन रतनू एक मतो।।१ अचल़ा सदन चौपा’णी…

गीत जांगड़ो देसाणराय रो

।।गीत – जांगड़ो।। जंगल़ थप थांन विराजै जांमण देवी आप देसांणै। द्रढकर राज बैठायो दाता, बीको पाट बीकांणै।।1 अरजन विजै जांगलू आख्यो, चारण जोड चरावै। धारै नाय रोफ धणियां रो,…

भाव व भाषा का सुभग संगम: मेहाई महिमा

भगवती श्री करनीजी की मान्यता सर्व समाज में समादृत है। सुवाप गांव में वि.सं.1444 की आश्विन शुक्ला सप्तमी को किनिया मेहाजी दूसलोत के घर करनीजी का जन्म हुआ। चैनजी सांदू…

सबसूं है मोहन सिरमोड़ !

गीत – वेलियो मोहन बल़ तणी बात आ महियल़, लखियो नकूं कोई लवलेश। डिगतो बह्यो डांग कल़ डोकर, अधपतियां करियो आदेश।।1 बीजो बुद्ध अवतरियो बसुधा, अहिंसा तणो उपासक आप। गुणधर…

कविराज दयालदास सिंढायच और उनकी रचनाएं – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

कविराज दयालदास सिंढायच और उनकी रचनाएं राजस्थान की साहित्यिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चेतना और विकास में चारण जाति की महनीय भूमिका रही है, इस बात को इतिहास और संस्कृति के…

करणीजी रा छप्पय- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

महाकवि चैनकरणजी सांदू ने कहा है- देवी नव दिन्नांह, साचै मन समरण करां। तीन सौ साठ दिनांह, विघन न व्यापै बीसहथ।। आप सभी सहृदय सज्जनों को पावन नवरात्रि शुभारंभ की…

मीठी मसकरी

मीठी मसकरी मीठी मसकरी(53)राज चढो तो राखज्यो!बात उण दिनां री है जिण दिनां आपांरै अठै राज राजावां रो हो। राजावां रै हेठै ठाकर हा। एक’र चौमासै री वेल़ा ही। खेतां…

देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गीत -प्रहास साणोर कड़ाका आभ दे बीजल़ी जबर कड़कड़ी, धड़धड़ी कंसरी धरण धूजी। हड़बड़ी दूठ रै वापरी हीयै में पुनी जद गड़गड़ी खबर पूजी।।1 देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो, असुर…

मित्रता – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

है खांडै री धार मित्रता। सबसूं उत्तम कार मित्रता!! रथ हांकै नै पग धो देवै। सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!! डिगतै नैं कांधो दे ढाबै। निज भुज लेवै भार मित्रता!!…