ये षड्यंत्री दौर ~ डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
ये षड्यंत्री दौर न जाने, कितना और गिराएगा। छद्म हितों के खातिर मानव, क्या क्या खेल रचाएगा। ना करुणा ना शर्म हया कुछ, मर्यादा का मान नहीं। संवेदन से शून्य…
ये षड्यंत्री दौर न जाने, कितना और गिराएगा। छद्म हितों के खातिर मानव, क्या क्या खेल रचाएगा। ना करुणा ना शर्म हया कुछ, मर्यादा का मान नहीं। संवेदन से शून्य…
(केसरीसिंह बारठ के पास विजयसिंह पथिक ने आकर क्रांति के लिए एक वीर युवा देने का आग्रह किया, बारठजी की हवेली में विजयसिंह पथिक तथा केसरीसिंह बारठ के बीच हो…
हे मित्र! समय को पहचानो बस इतना सा कहना मानो आलस से यारी मत करना ज्यादा होंशियारी मत करना। ये क्षण में सबको छलता है पल पल में रूप बदलता…
पुलिस के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ खाखी की जुबानी खाखी बोलै आज खरी डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ जस अपजस इण जगत में, है बस हर रै हात। नर नाहक नखरा…
दिवला! इसड़ो करे उजास -डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ दिवला! इसड़ो करे उजास जिणमें सकल निरासा जळ कर, उबरै बधै ऊजळी आस। मन रो मैल कळुष मिट ज्यावै, वध-वध दृढै विमळ…
साची बात कहूँ रे दिवला, थूं म्हारै मन भावै। दिपती जोत देख दिल हरखै, अणहद आणंद आवै। च्यारुंमेर चड़ूड़ च्यानणो, तेज तकड़बंद थारो। जुड़ियाँ नयण पलक नहं झपकै, आकर्षक उणियारो।…