Thu. Nov 21st, 2024

Tag: आशूदानजी मेहड़ु

सुं कीर्ति करुं सोनला, तारी महीमां अपरम्पार- आशूदान मेहड़ू जयपुर

माँ भवानी पण, अति बलशाली श्रेष्ठतम शक्ति छे जेना आधारे आ जगत टकेलो छे। शक्तिविहीन जीव अथवा आखो बृहमांड नकामो छे। एज शक्ति थी बधुं संचालन थाय छे। शक्ति ना…

चार नीति गत सोरठा – आशूदान मेहड़ू जयपुर

आज के इस विज्ञानिक प्रतिस्पर्धा के युग (कल युग) मे भले ही कोई माने या ना माने लेकिन गढवी चारण का इतिहास कुच्छ और ही है. यह चारण (उचारणा देव…

वही तो मैं चारण हूं – आशूदान मेहड़ू जयपुर

वही तो मैं चारण हूं मैं चारण हूं…साधारण हूं, मैं झूठ का मूल निवारण हूं । मैं इतिहास का एक विस्तारण हूं, मैं देश गर्व, गीत पर्व, हेतवृद्धक हुलारण हूं…

वाह ! वाह ! यारो, मुंइंजा दिलदारो- आशूदान मेहड़ू जयपुर

अज मिड़े थद आरो थोकड़ो खासो….उकड़ू वेठा चार पंज भाउर तड़के वेहि गाल्हियें जा गप्प ठेलिंदा डिठा…गाल्हियुं फक्त नेताएं जुं….हितां जी हुतां अईं हुतां जी हितां…. बस पोय मुखे सुझी…

जय कुलदेवी श्री चालकनेची माँ- आशूदान मेहड़ू जयपुर राज

जय कुलदेवी श्री चालकनेची माँ. हमणा आपणा बधा देगाम वासी मेहड़ू भाईयो ने कुलदेवी ना स्थाने सामुहिक जीमण जीमतां जोया. हियुं हर्ष थी हिलोला मारवा लागयुं अने मारो पारकर राठी…

आद शक्ति आवाहन – आशूदान मेहडू़ जयपुर

हमारी देव संस्कृति मत मतानुसार “नवरात्रि पर्व” दोनों चैत्र एवं आसोज नवरात्रि सिद्धि साधना, देव आराधना, मनोवांछित फल दात्रा, इष्टयात्रा एवं शत्रुनाश, रोगमुक्ति तथा अनेक सिद्धियां देने वाले अमोघ पर्व…

वदुमाँ (पबु माँ) – आशूदानजी मेहडू

प्रिय भँवर…. वदुमाँ (पबु माँ) का पीहर पाबुसर गाँव मे, जन्म नेतोजी देथा देवीदास के घर हुआ था। जन्म कब हुआ यह जानकारी इस लिए नहीं कि उस वक्त गाँवों…

आज शिक्षक दिवस है-आशूदान मेहडू

आज शिक्षक दिवस है, शिक्षक को गुरू कहैं, मार्गदर्शक कहै, सरस्वति के भंडार का, द्वारपाल कहैं या बिलकुल कोरे मानव मस्तिष्क पर सुंदर चहुंमुखी विकासरूपी चित्र कोरने वाला अदभूत चित्रकार…

केसरी नमन – आशूदान मेहड़ू “आहत”

आदरणीय सर्व श्री चारण समाज आज क्रांतिकारी बलिदानी केसरीसिंह की पुण्य तिथि है, मैं उस वीर क्रांति को मेरे इन श्ब्दों से श्रद्धांजली दे रहा हूं स्वीकार करावें। केसरी नमन…

निति विधान ~ आशूदान मेहडू

“निति विधान” सत्य बात अति सुहावनी, धरहु हृदय धर ध्यान । मोटप,मद,मूढमति, तजि आडम्बर अज्ञान । जग स्वार्थ,अर्थ शुन्य, ना भेरु भीर रख भान । काम बिगारत कैक कुटिल, बावनिंया…