Sat. Apr 19th, 2025

Tag: राम बी गढवी नविनाळ कच्छ

गुरु गोविंद दोनों खडे,कीसको लागुं पाय बलीहारी गुरुदेव की,(मोहे) गोविंद दियो बताइ

गुरु गोविंद दोनों खडे, कीसको लागुं पाय बलीहारी गुरुदेव की, (मोहे) गोविंद दियो बताइ अमर लोकसाहित्यकार इशरदान गढवी नी रेकोडींग मांथी सांभळेली गुरु-शिष्य विसेनी वात राजस्थानमां “डुंगर भरवाड” नामे भगवान…

चारणकवि श्री बापलभाइ नी अति सुंदर रचना

चारणकवि श्री बापलभाइ नी अति सुंदर रचना माडी तमे आवो मयुरे चडी माडी तमे आवो मयुरे चडी..(टेक) आवो मयुरे चडी, विनंती करुं हुं घडी रे घडी.. ह्रदय कमळमां आसन आपु,सुरता…

चारणी चरज=आवड ने भेळीयो

चारणी चरज= आवड ने भेळीयो जेने वंदन करे छे सुरज भाण…आवड ने भेळीयो मोगलमाने भेळीयो मारी,आवड माने भेळीयो (२) जेने वंदन करे छे सुज भाण…मोगल ने भेळीयो शेष देव नाना…

जाजी रे खमायुं सोनल

जाजी रे खमायुं सोनल जाजी रे खमायुं सोनल तने जाजी रे खमायुं चारणकुळनी तारणहारी तने जाजी रे खमायुं काळा वादळ वळीयां काळी रातने अंधारीयुं वीजळी रुपे जबुकी सोनल तुं आविने…

आज तरछोड माँ जोगमाया – कवि दुला भाया “काग”

आज तरछोड माँ जोगमाया – कवि दुला भाया “काग” भान बेभानमां मात ! तुजने रट्या, विसारी बापनुं नाम लीधुं…, चारणो जन्मथी पक्षपाती बनी, शरण जननी तणुं एक लीधुं…, तें लडावी…

वित्त वावरवानुं रण चडवानुं नामरदानुं काम नथी

वित्त वावरवानुं रण चडवानुं नामरदानुं काम नथी प्रोणा पावानुं गुण गावानुं, खवरावीनुं खावानुं घोडे चडवानुं मूछे तानुं, घवरावीने घावानुं कृत शूरविरतानुं प्रभु कृपानुं विर थवानुं महारथी वित्त वावरवानुं रण चडवानुं…

चारण कवी बलदेव भाइ नरेला रचित आइ सोनल नी चरज

चारण कवी बलदेव भाइ नरेला रचित आइ सोनल नी चरज मढडामां भाळी में मरमाळी रे, माताजी तारी मुरती रे जी (टेक) लाख लाख दीवडाना,तनथी तेजाळी रे (२) हे जी एणे…

एकली ऊभी अयोध्यानी नार=चारणकवि पद्मश्री कागबापु द्वारा रचीत भजन

एकली ऊभी अयोध्यानी नार=चारणकवि पद्मश्री कागबापु द्वारा रचीत भजन एकली ऊभी कोइ अटूली अजोधानी ना…र (२); बाप बेटानां दाण मांगे छे,मसाणुं मोझार एकली ऊभी… राणी हती ते दासी बनेली,दास थयो…

धर्मना भाइ माटे बलिदान आपनार "आइ श्री विसरी माताजी

धर्मना भाइ माटे बलिदान आपनार “आइ श्री विसरी माताजी” कच्छनी केशरी भुमी माटे कविने लखवुं पडे छे… पथराळ, खळकाळ, विकराळ छतांय स्नेहनी सरिता वहावती बावळ तणी शुरो महीं पण प्रेम…

चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा द्वारा रचीत हिंगलाज माताजी नो छंद हरिगीत = हिंगला अधहारणी

चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा द्वारा रचीत हिंगलाज माताजी नो छंद हरिगीत = हिंगला अधहारणी                     दोहो उपजावनी खपावनी, विश्वंभरी वडराय, जय…