कर्मरत होकर के जागे सोया स्वाभिमान- कुं गोविन्द चारण झणकली
कर्मरत होकर के जागे सोया स्वाभिमान। जागो देवी की संतान……….२ उदित हुई थी शिव-शक्ति की जो परम्परा। ज्ञान-पूँज से धन्य हुई सदियो वसुन्धरा।। आओ फिर से सजग करे कौमी वरदान।…
कर्मरत होकर के जागे सोया स्वाभिमान। जागो देवी की संतान……….२ उदित हुई थी शिव-शक्ति की जो परम्परा। ज्ञान-पूँज से धन्य हुई सदियो वसुन्धरा।। आओ फिर से सजग करे कौमी वरदान।…
तुंही नाम तारण ,सबै काम सारण, धरो उसका धारण , निवारण करेगो। न था दन्त वांको, दिया दुध मां को, खबर हैं खुदा को, सबर वो धरेगो। तेरा ढुंढ सीना,…
*ये चारण किसमें आते है* मेरे मित्र ने मुझसे पूछी बात। किसमें आती है चारण जात। वर्ण व्यवस्था में वर्ण चार है। सनातन धर्म का यही सार है। वेद पुराण…
शेर तथा सुअर की लड़ाई का वर्णन, कृत – हिंगलाजदानजी सेवापुरा जयपुर दोहा गिर आडो जाडो गहर,घाटा विकट घणाह। बाहण उण जागां बस्या,त्रण लोयणां तणाह।। जिण जागां थाहर जबर,फाबै नाहर…