इंद्र सु आशी – रचना- राजेंद्रदान (कवि-राजन)
इंद्र सु आशी सरवत तव समरण करू ब्रह्मा विष्णु महेश । मन भर बरसे मेहूडा इल पर आव।इन्द्रेश । छंद त्रिभंगी ऐरावत आळा कर किरपाला दीन दयाला दातारा । बरसे…
इंद्र सु आशी सरवत तव समरण करू ब्रह्मा विष्णु महेश । मन भर बरसे मेहूडा इल पर आव।इन्द्रेश । छंद त्रिभंगी ऐरावत आळा कर किरपाला दीन दयाला दातारा । बरसे…
श्री आवड़ माँ रो छंद सुख सागर देवण सगत तिमर टाळण तण वार। आवड़ नाम उचरन्तो आंणद आय अपार।। धन माड़ धरा धरणी आइ मात आवड़ा। जनम जग जात जरणी…
परम् भगत पराक्रमी हड़मत वड हाथाळ। राम नाम रटतो सदा कपी बड़ो किरपाळ।। कोप लंकापती कियो सीय लेगयो साथ। गुण राम रा गावतों पतो कियो परभात।। छंद त्रिभंगी कपी किरपाळा…
श्री चैलक राय रो छंद- रचना–राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन) झणकली चैलक रायां चारणी है तूँ ही हिंगलाज। समरयो लीजो सारणी कवि राजन हर काज।। उठत बेठतो आवड़ा चालतो मग…
श्री सैणी जी रो छंद रचना- राजेन्द्र दांन विठू (कवि राजन झणकली) देवी हिंगलाज दाखतों वेदे जा वरदाय आदी सगती आखतों सेणी आ सुताय।।,,,1 चेतर आठम चानणी पावन दिन…
कच्छप मच्छय वराह काय वामन नरसिंह वेश। किरशण राम बुद्धम कल्कि परसु राम बण पेश।।,,,,,,,1 ईशर धरया अवतार पृथ्वी मिटावण पाप। आतंक रूपी असुर नों आवों मारण आप।।,,,,,2 जन जन…
छंद चित हिलोळ समत दीजो सगत सीलां दे उकत दातार मदद कीजो मात मीलां आप हो आधार। तो साधार जी साधार सगती आपरो साधार,,,,,,,1 शबद दे तूँ सुरसती वरणोय…
एक एक सूं ही आगला सैनिक हिन्द सूरवीर। आतंकवादी असुर नों चुन चुन मारे चीर।। बुद्धि अपरबल बहादुरी देश प्रेम मन धरे। हद रुखाळण हिन्द री निश दिन मोत लड़े।।…
श्री देवल माँ रो छंद रचना–राजेन्द्र दांन(कवि राजन)झणकली देवल माँ वरदायनी साचा परचा सगत। सेवगोंय सुख सारणी भांगे पीड़ भगत।। भलियो जी बड भागियो जिण घर जलमी सगत। देवला नाम…
श्री लूंग माँ रो छंद रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली संकटों कीजो शायता सरवत दीजो साथ बेल आवजो वीश हथ हरदम हाथो हाथ।। भय दुख पीड़ा भाँगजे दीजे…