श्री मनोज चारण
नाम | मनोज कुमार |
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साहित्यिक नाम | मनोज चारण ‘कुमार’ |
माता पिता व धर्म पत्नी नाम | माता – श्रीमती रमेश कंवर, पिता – श्री कैलाशचन्द्र चारण व धर्मपत्नी नाम – श्रीमती आशा कंवर |
जन्म व जन्म स्थान | |
11 जुलाई, 1979 (ओरिजनल डेट) / 05 जून, 1978 (डोक्युमेंटली जन्मतिथि) चारणों की ढाणी तहसील नोहर जिला हनुमानगढ़ (ननिहाल) | |
संबधित अन्य जानकारी | |
गोत्र – गाडण (चोलावत) पैतृक गाँव – जैतासर तहसील रतनगढ़ जिला चूरू निवास स्थान – रतनगढ़ जिला चूरू | |
शिक्षा
सम्प्रति
सदस्यता
लेखन
अप्रकाशित साहित्य
पुरस्कार
लेखन क्षेत्र और विधाएँ – राजस्थानी, हिन्दी एवं बृज भाषा में लेखन
पत्राचार का पता |
मनोज चारण की प्रशंसा में अन्य कवियों के उद्गार इस प्रकार हैं:-
डिंगळ री डणकार मै, गाडण नाम मनोज.
कविता लिखतो कोड सूं, अंतस मै भर ओज..
साहित वालो सूरमो, लेखण खग ले रोज.
नव कविता उतबंग नित, (समपै) शिव रे चरण सरोज..
~नरपतदान आवडदान आशिया ‘वैतालिक’ खाण-रेवदर (सिरोही)
आज कुछ दिखा नया, कहीं धूंआँ कहीं आग है.
भोंडे गायन गाने वालों के बीच, कहीं सुनने जैसी राग है..
आपके सीने में आग, कुछ मेरी जैसी है.
घर ओरों के जल रहे, तपन मेरे घर जैसी है.
उम्मीदें बहुत की थी, यह जहाँ सुन्दर हो तेरे जैसा.
तूं चुप रहा तभी, यह दुनियां ऐसी है..
~विजेन्द्रसिंह बिठू ‘पर्वत भाभा’ सींथल (बीकानेर)
कथ्या कवित्त मोकला, साहित रचतो रोज.
नागदमण अराथायदी, वाह रे कवी मनोज..
~मनोज सान्दू, बिलाड़ा (जोधपुर)
रच कविता तूं मनोज रे, रचने मै ही शान.
प्राण बसे सबदां मंहि, भाव बसे है ज्यान..
~रामकिशोर छीपा ‘रौनक’ बिलाड़ा (जोधपुर)
आन बान आर शान री, कविता मांडै रोज.
मरू मलयज री शान है, गाडण कवि मनोज..
~राम लखारा ‘विपुल’ सिणधरी (बाड़मेर)