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लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी

लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी चारणकुळनी तुं तारणहार..मातवडी मढडावाळी ए…तोळा नाम तणो परताप….दु:खनो डुंगर टळ्यो ज्यारे ज्यारे में दिधो तोळे साद…होंकारो तोळो सामो मळ्यो लीली वाडीनी राखणहार….…

राजपुताणी हिरल मां नी चारण अने राजपुतो ने संबोधन करती रचना…..

राजपुताणी हिरल मां नी चारण अने राजपुतो ने संबोधन करती रचना….. हे बाळ हवे जागो चारण ना संतान, हे बाळ हवे जागो क्षत्री ना संतान…. हे बाळ हवे जागो शक्ति…

कविवर चंद बिरदाइ रचित ज्वाळामुखी देवि नी स्तुती

कविवर चंद बिरदाइ रचित ज्वाळामुखी देवि नी स्तुती चिंता विघन विनाशनी,कमलासनी शकत विस हथी हंसवाहनी,माता देहु सुमत्त || छंद=भुजंगी || नमो अादि अन्नादि,तुंही भवानी तुंही जोगमाया,तुंही बाकबानी तुंही धर्नी आकाश…

अजा उमाजी अंबाजी-रचना = चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा लींबडी राजकवि

अजा उमाजी अंबाजी-रचना = चारणकवि श्री शंकरदान जेठीदान देथा लींबडी राजकवि || दुहो || प्रसन्न प्रसन्न प्रसनाननी, हम पर रहो सदाय प्रणतपाल परमेश्वरी, जय अंबा जगराय ||छंद-त्रिभंगी|| जय जगरायाजी, महामायाजी,…

चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी

चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी आइ करुं छुं अरजी मारो साद कां सुणे नइं कया अपराधे करणी अमथी मुख मरोडी गइ होय हजारो…

चारण कवि मेकरणभाइ रचीत रा'मांडळीक नी केवी हालत बनी एवु वर्णन करती रचना

चारण कवि मेकरणभाइ रचीत रा’मांडळीक नी केवी हालत बनी एवु वर्णन करती रचना किस्मतना कायदा फर्या नथीने फरसे नइ आइ नागबाइ नो सरापेल,मांडळीक रेढो भमे लाखोनो पाळनारो, मांडळीक रेढो भमे…

कच्छ ना कवी दुलेराय काराणी नी जननी ना हाथ ना बनावेल रोटला नुं वर्णन…

कच्छ ना कवी दुलेराय काराणी नी जननी ना हाथ ना बनावेल रोटला नुं वर्णन… मणीयां मुके मठी लगेती, माडी ! तोजी मानी… माडी ! तोजी मानी जे में, जोबन जोर…

चारणकवि कीरीट भाइ रचीत चरज

चारणकवि कीरीट भाइ रचीत चरज चारणोमां थइ चंडीयु जेवी मढडे सोनल मात नोतरी चारण नात आखी मांए विश्वे राखी वात मायाळु मात छो मीठी,अमी भरी आंखडी दीठी..(२) मोणीये नागल आइ…

चारणकवि नारणदान सुरु नी कलमे लखायेल विर वछराज नो भाव

चारणकवि नारणदान सुरु नी कलमे लखायेल विर वछराज नो भाव बेनीबा ने काेलताे आपी रे धजायु धरमनी स्थापी रे पडाणाना पंथडा कापी, मारते घाेडे बेन बाेलावे रे पडाणाथी वाछराे आवे…

भारतवर्ष मां एक समय एवो हतो, के उजळा ना नेस मां बापल देथाने नेहडे बुट, बलाड अने बेचरा रमती हसे…..चराडवा ना नेसमां आइ राजल बिराजती हसे…… सरधार मां जेणे बाकरसा ने चीर्यो एवी जगदंबा रमती हसे….. सिंह ने बळद साथे जोडीने गाडुं हकांरी बतावे….. एवी चारण नी दाकरीयुं अवतरती हसे…

भारतवर्ष मां एक समय एवो हतो, के उजळा ना नेस मां बापल देथाने नेहडे बुट, बलाड अने बेचरा रमती हसे…..चराडवा ना नेसमां आइ राजल बिराजती हसे…… सरधार मां जेणे बाकरसा…