ओह रिशतै अजांण, पती पतनी प्रखांण- कवि मधुकर भंवरदानजी
ओह रिशतै अजांण , पती पतनी प्रखांण ,लेखो कुण ले लिखांण ,प्रीत के प्रमांण है । ब्याव को बणै विधाण ,जीवन विताण जांण ,आपरचित मिले आंण ,जाण ना पेचांण है…
ओह रिशतै अजांण , पती पतनी प्रखांण ,लेखो कुण ले लिखांण ,प्रीत के प्रमांण है । ब्याव को बणै विधाण ,जीवन विताण जांण ,आपरचित मिले आंण ,जाण ना पेचांण है…
🙏🏼🙏🏼श्री आवड़ माँ दूण चालिसा छंद बे अखरी मात्रा (१६)अंत गुरू तेमड़ भगतां तारणी ,आवड़ रो जस आख ।मधुकर वरणे माड़वे ,दूण चालिसो दाख ।🙏🏼🙏🏼⛳⛳🙏🏼 शुभम ऊचारो माँ सुरसती…
राजपूताना और गुजरात मे सौदा बारहठ शाखा के चारणो के जागीर ग्रामो(स्वशासीत ग्राम/शासन जागीर) की जानकारी >महाराणा हम्मीर जी ने बारुजी सौदा को अपने दसोंदी नीयुक्त कर 25,000 की वार्षीक…
पेमां महा सती पेमां महा सती का जन्म बोगनियाई मीसण जाती में हुवा था। जन्म समय ओर माता पिता का नाम अग्यात है। पेमां सती का विवाह मदासर नाला रतनू…
भजन सम्राट पुज्य नारायण बापुनी एक रचना – महामाया चरणे मनडुं छे मारुं महामाया चरणे मनडुं छे मारुं तन मन धनथी तुज पर वारुं महामाया चरणे… समरण करुं त्यां सहाय…
चारणकवि श्री दिलजीतदान बाटी द्वारा लखेल चरज = आइ करुं छु अरजी आइ करुं छुं अरजी मारो साद कां सुणे नइं कया अपराधे करणी अमथी मुख मरोडी गइ होय हजारो…
सोनबाइ मां नी इच्छा अने कागबापु ना शब्दो द्वारा चारणोने शीखामण छोरुने मात समजावे आवा कोइ चारणो आवे छोरुने मात समजावे, आवा कोइ चारणो आवे…(टेक) धीर-गंभीरा,धारणवंता,पापमां जेना न पाव; (२)…
लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी लीली वाडीनी राखणहार…सोनबाइ सोरठवाळी चारणकुळनी तुं तारणहार..मातवडी मढडावाळी ए…तोळा नाम तणो परताप….दु:खनो डुंगर टळ्यो ज्यारे ज्यारे में दिधो तोळे साद…होंकारो तोळो सामो मळ्यो लीली वाडीनी राखणहार….…
चारणकवि श्री दादबापु द्वारा रचित आवड मां नी चरज =आवड तुं उपरे आवे आवड तुं उपरे आवे रे, बाइ तुने बाळ बोलावे…२ चडी कां तो नींदना झोले, बोलावी बोलना बोले…
ब्रह्मलीन पुज्य नारायण बापु नी अमर रचना मढडावाळी माता ने वंदन अमारा नित उठी प्रभाते करू दर्शन तमारा कठणकळी काळ मां छे आशरो तमारो,बाळक जाणी मने पार उतारो अज्ञान रूपी…