मछराळी मोगल=कागबापु द्वारा रचीत मां मोगल नी वंदना
मछराळी मोगल=कागबापु द्वारा रचीत मां मोगल नी वंदना मछराळी मोगल! गांडी थइ, डणकी रे डुंगर गाळीये; नव रे नगर ने नव नेस रे. (टेक) माडी, तें काळा रे सरपुंने कीधो…
मछराळी मोगल=कागबापु द्वारा रचीत मां मोगल नी वंदना मछराळी मोगल! गांडी थइ, डणकी रे डुंगर गाळीये; नव रे नगर ने नव नेस रे. (टेक) माडी, तें काळा रे सरपुंने कीधो…
सोनल मा साबदी थाजे,बुढी तारा बाळने काजे ढाळ=माडी हुं तो एटलुं मागा सोनल मा साबदी थाजे,बुढी तारा बाळने काजे (टेक) जुग चोथानी जोगणी मा हवे,सुणजे मारो साद (२) ए… मान…
आइ सोनबाइ अने कुळदेवी ना आशिर्वाद थी जे कांइ सुज्युं ए मां भगवति ना चरणे. नेहडे रे नेहडे आइ तारा नाम छे.. चारण कुळ ने तारण मोरी मात रे मढडा…
सोनल समाढा, ब्योम बाढा, खपर गाढा खडखडे छंद – सारसी सोनल समाढा ब्योम बाढा खपर गाढा खडखडे जीय खपर गाढा खडखडे. -(टेक) कर धरा धरसो, फेर हरसो, असो परचो इश्वरी…
चारणना दिकरीनी मढडावाळा सोनलमां ने अंतरनो पुकार पोष सुद बीज आवि रळीयामणी ने मारे हैडे हरख नो मांय… चीत चोडे नहीं काममां होनल,मनडुं मढडे जाय…२ सुता उठंता ने बेसता सोनल,हुं…
द्वारीकाधिश प्रभु कृष्ण परमात्मा ने चारण महात्मा इसरदासजीए ‘हरिरस’ नामनो ग्रंथ सभळाव्यो जे कृष्ण परमात्मा ए सामे बेसीने सांभळ्यो. आ ग्रंथ सांभळी प्रभु खुब ज प्रसन्न थइने इसरदास ने कइंक…
चारणकवि श्री इशरदासजी बारहठ द्वारा रचित हरिरस नो महात्म्य संसार दुस्तर सिंन्धुमां, आ हरिरस जलयान छे अज्ञान तम पर आ हरिरस, सूर्य रश्मि समान छे कल्मय कनक कश्यप परे, आ…
चारणकवि नारणदान सुरु द्वारा रचित मां मोगल नी चरज मोगल नी धाबडी छांये रे,उछरीये मावडी पांये रे झरता नेणे हेतना झरणा,प्रेमना पाणी छलकावती आवे रे आयल देवसुरनी आवे रे… रणझण…
कागबापुनी रचना=आज तरछोड मा जोगमाया भान बेभानमां मात ! तुजने रट्या, विसारी बापनुं नाम लीधुं…, चारणो जन्मथी पक्षपाती बनी, शरण जननी तणुं एक लीधुं…, तें लडावी घणा लाड मोटा कर्या,प्रथम…
कच्छना चंदुभा जाडेजा द्वारा रचीत आशापुरा मां नो गरबो ढाळ=वंदन वंदन आशापुरा मातने भुल्या भुल्या भवानी अमे आपने भुलना अमे पाम्या आ परिणाम रे आशापुरा मां… भुल्या भुल्या भवानी अमे…