Sat. Aug 2nd, 2025

Category: गिरधरदान रतनू ”दासोंड़ी”

जुड़ै जवान जोरवान- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

मा भारती की रक्षा में अहर्निश प्रण प्राण से समर्पित भारतीय सेना के तीनों अंगों अभय जवानों को समर्पित मेरी कुछ पंक्तियां- ।।दूहा।। बुआ वीर मग्ग व्योम, भोम लियां भुज…

आई ऐह दिया उपदेश – गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

गर्विली गुजरात रै मढड़ै गांम में जनमी मा सोनल जिकै “मढड़ै वाल़ी मात” रै नाम सूं लोकप्रिय रैयी। उणां समाज रै हित चिंतन सारू अथग प्रयास किया। उणां रै सुभग…

दो गजलां -गिरधरदान रतनू दासोड़ी

१ एकर म्हारै गाम आवजै। साथै थारी भाम लावजै।। चांदो तारा बंतल़ करता। हंसतो रमतो धाम पावजै।। मिरच रोटियां मन मनवारां काल़जियै रो ठाम पावजै।। स्नेह सुरां री बंशी सुणजै।…

गीत सांगा मैणा रो- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

17वीं शताब्दी के श्रेष्ठ कवि महकरण मेहडू उर्फ जाडा मेहडू जो अपने समय के निर्भीक व बेबाक कवि के रूप में साहित्यिक जगत में विश्रुत है। इन्हीं के पुत्र कल्याणदास…

चिड़कली ~ गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

आदरणीय डॉ.आईदानसिंहजी भाटी री ओल़ी चिड़कली सूं प्रेरित कीं म्हारी ओल़्यां ऐ नजर तूं तो भोल़ी भाऴ चिड़कली। दुनिया गूंथै जाऴ चिड़कली।। धेख धार धूतारा घूमै। आल़ै आल़ै आऴ चिड़कली।। मारग…

कवियण वंदन काग – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गिरधर दान रतनू “दासोड़ी” द्वारा गुजराती अर डिंगल़ रा महामनीषी विद्वान अर ऋषि तुल्य पूज्य दूलाभाया काग नै सादर कवियण वंदन काग दूहा सरस भाव भगती सहित, राम मिलण री…

नेह रो दरियाव दिवलो – गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

दीपर्यो सुख-धाम में, ओ राम रो पैगाम दिवलो। नेह रो दरियाव दिवलो, गेह नै उपहार दे। श्याम-बदना रात रै, झट गात नै सिंणगार दे। तन बाल़ जोबन गाल़ नै, उपकार…

रँग शीलां रखवाल़िया, जोर झिणकली झाड़ – गिरधरदान रतनू ”दासोडी”

एक जमानो हो जद अठै रा नर-नारी मरट सूं जीवण जीवता अर सत रै साथै पत रै मारग बैवता। हालांकै धरती बीज गमावै नीं आज ई ऐड़ा लोग है जद…

सेवामें श्रीमानजी, एक शिकायत ऐह….

कवि गिरधर दान रतनू “दासोडी” द्वारा “काव्य-कलरव” अर “डिंगळ री डणकार” ग्रुप रा कवियों ने निश्क्रिय रेवण सूं दियौडौ एक ओळभो देती कलरव अर डिंगल़ री डणकार रा मुख्य-संरक्षक / संरक्षक…

देवल माँ- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

।।दूहा।। माडधरा में माड़वो, पहुमी बडी पवीत। सदन भलै रै शंकरी, अवतारी अघजीत।।1 देवल भलियै दीकरी, है बीजी हिंगल़ाज। प्रगट माड परमेसरी, सगतां री सिरताज।।2 माडधरा में माड़वै, धर खारोड़ै…