Sun. Aug 3rd, 2025

Category: गिरधरदान रतनू ”दासोंड़ी”

देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

गीत -प्रहास साणोर कड़ाका आभ दे बीजल़ी जबर कड़कड़ी, धड़धड़ी कंसरी धरण धूजी। हड़बड़ी दूठ रै वापरी हीयै में पुनी जद गड़गड़ी खबर पूजी।।1 देवकी उदर में प्रगटियो डीकरो, असुर…

मित्रता – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

है खांडै री धार मित्रता। सबसूं उत्तम कार मित्रता!! रथ हांकै नै पग धो देवै। सँभल़ै डग -डग लार मित्रता!! डिगतै नैं कांधो दे ढाबै। निज भुज लेवै भार मित्रता!!…

सुरराज आरजी सुणै साहिब! – गिरधरदान रतनू दासोड़ी

च्यारां कानी वरसाल़ो लूंबियो। सांवण रा लोर लटूंबिया। घणघोर कांठलां बणाव कियो। आभै में बीजल़ी रा पल़ाका अर धरा माथै मोरां रो कल़ाव बखाणणजोग है पण गारबदेसर ठा.किसनसिंहजी एक बात…

कवि सम्मान री अनूठी मिसाल ~गिरधरदान रतनू “दासोड़ी”

कवि मनमौजी अर कंवल़ै काल़जै रो हुवै। जिण मन जीत लियो कवि उणरो कायल। इण मामलै में वो छोटो कै मोटो नीं देखै। ओ ई कारण है कै वो निरंकुश कहीजै। बुधजी…

अमर शहीद प्रताप बारहठ रै प्रति- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

पुण्यात्मा प्रतापसिंह बारठ को सश्रद्ध नमन मरदां मरणो हक्क है, मगर पच्चीसी मांय। महलां रोवै गोरड़ी, मरद हथायां मांय।। इस सपूत के समग्र पूर्वजों ने मातृभूमि के हितार्थ व स्वाभिमान…

कुळ चारण लुळ नमन करै – कवि गिरधर दान रतनू “दासोडी

हल़्दीघाटी अर स्वतंत्रता आंदोलन रै सौदा सूरां नैं समर्पित एक छंद किन्हीं राजस्थानी कवि ने माओं को संबोधित करते हुए कहा है कि अगर उनके लड़के में बारह वर्ष में…

जोधपुर थापना दिवस री सगल़ै सैणां नै बधाई अर शुभकामनावां- गि.रतनू

अरि दल़ण अखियात ओ, भेर तपै वँश -भांण। जोध बसायो जगत में, जस जोगो जोधांण।। मोरधव्ज चावो मुदै, महि हद पावण मांण। गढां सिरोमण गाढधर, जग जोवो जोधांण।। वीसहथी नै…

कवि री बात राखण नै, कियो जैसलमेर माथै हमलो

कवि री बात राखण नै, कियो जैसलमेर माथै हमलो बीकानेर रा राव लूणकरणजी वीर, स्वाभिमानी अर उदार नरेश हा। केई जंगां में आपरी तरवार रो तेज अरियां नैं बतायो तो…

तनै रंग दसरथ तणा

बाप दियो वनवास, चाव लीधो सिर चाढै। धनख बाण कर धार, वाट दल़ राकस बाढै। भल लख सबरी भाव, आप चखिया फल़ ऐंठा, सारां तूं समराथ, सुण्या नह तोसूं सैंठा। पाड़ियो मुरड़ लंकाणपत, भेल़ो कुंभै…

अभिनंदन के अभिनंदन में- गिरधरदान रतनू दासोड़ी

तर चंदन है धर वीर सबै, मंडिय गल्ल कीरत छंदन में। द्विजराम प्रताप शिवा घट में, भुज राम बसै हर नंदन में। निखरै भड़ आफत कंचन ज्यूं, उचरै कवि वीरत…