Sun. Aug 3rd, 2025

Category: गिरधरदान रतनू ”दासोंड़ी”

सदा रंग समियांण

गढ सिंवाणा नै समर्पित- इल़ भिड़ करबा ऊजल़ी, चढिया रण चहुंवांण। बिण सातल रो बैठणो, सदा रंग समियांण।।1 खिलजी रो मद खंडियो, सज मँडियो समियांण। कट पड़ियो हुयनै कुटक, चढ…

ठग्गां रो मिटसी ठगवाड़ो

गीत-जांगड़ो सरपंची रो मेल़ो सजियो, भाव देखवै भोपा। धूतां धजा जात री धारी, खैरूं होसी खोपा।।1 दूजां नै दाणो नीं दैणो, एक समरथन आपै। वित लूटण मनसोबा बांधै, जनहित झूठा…

आंधै विश्वास तणो अंधियारो!

।।गीत जांगड़ो।। आंधै विश्वास तणो अंधियारो, भोम पसरियो भाई। पज कुड़कै में लिखिया पढिया, गैलां शान गमाई।।1 फरहर धजा बांध फगडाल़ा, थांन पोल में ठावै। बण भोपा खेल़ा पण बणनै,…

मन में रही उम्मेद!

राजस्थानी साहित्य रो ज्यूं-ज्यूं अध्ययन करां त्यूं-त्यूं केई ऐड़ै चारण कवियां रै विषय में जाणकारी मिलै जिकां रो आभामंडल अद्भुत अर अद्वितीय हो। जिणां आपरै कामां रै पाण इण पंक्ति…

भरिया सो छल़कै नहीं

प्रथम पुण्यतिथि पर सश्रद्ध नमन। राजस्थानी साहित्य, संस्कृति और चारण – राजपूत पारंपरिक संबंधों के मजबूत स्तंभ परम श्रद्धेय राजर्षि उम्मेदसिंह जी ‘ऊम’ धोल़ी ने आज ही के दिन इहलोक…

मौज करीनै मूल़िया!

कविवर झूंठाजी आशिया कह्यो है कै भीतां तो एक दिन धूड़ भैल़ी हुय जावैली पण गीत अमर रैवैला- भींतड़ा ढह जाय धरती भिल़ै, गीतड़ा नह जाय कहै गांगो। आ बात…

सांईदीन दरवेश

मध्यकालीन राजस्थानी काव्य में एक नाम आवै सांईदीन दरवेश रो। सांईदीनजी रै जनम विषय में फतेहसिंह जी मानव लिखै कै- “पालनपुर रियासत रै गांम वारणवाड़ा में लोहार कुल़ में सांईदीनजी…