Thu. Nov 21st, 2024

Category: आलेख

मन में रही उम्मेद!

राजस्थानी साहित्य रो ज्यूं-ज्यूं अध्ययन करां त्यूं-त्यूं केई ऐड़ै चारण कवियां रै विषय में जाणकारी मिलै जिकां रो आभामंडल अद्भुत अर अद्वितीय हो। जिणां आपरै कामां रै पाण इण पंक्ति…

भरिया सो छल़कै नहीं

प्रथम पुण्यतिथि पर सश्रद्ध नमन। राजस्थानी साहित्य, संस्कृति और चारण – राजपूत पारंपरिक संबंधों के मजबूत स्तंभ परम श्रद्धेय राजर्षि उम्मेदसिंह जी ‘ऊम’ धोल़ी ने आज ही के दिन इहलोक…

मौज करीनै मूल़िया!

कविवर झूंठाजी आशिया कह्यो है कै भीतां तो एक दिन धूड़ भैल़ी हुय जावैली पण गीत अमर रैवैला- भींतड़ा ढह जाय धरती भिल़ै, गीतड़ा नह जाय कहै गांगो। आ बात…

सांईदीन दरवेश

मध्यकालीन राजस्थानी काव्य में एक नाम आवै सांईदीन दरवेश रो। सांईदीनजी रै जनम विषय में फतेहसिंह जी मानव लिखै कै- “पालनपुर रियासत रै गांम वारणवाड़ा में लोहार कुल़ में सांईदीनजी…