Sat. Apr 19th, 2025

Category: आलेख

चारण साहित्य और संस्कृति के शिखर पुरुष :- शंकरदान देथा.

अंग्रेजी कहावत ‘Poets are born, not a made’ अर्थात् “कवित्वशक्ति जन्मजात होती है, सिखायी नहीं जाती’, वाली बात को गलत सिद्ध करनेवाली, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त’ रा’ओ लखपत व्रजभाषा पाठशाला में…

चारण समाज में कैरियर निर्माण के विविध अवसर

वर्तमान समय मे चारण समाज में कैरियर निर्माण के विविध अवसर शाक्त मतावलंबी एवं साहित्य सृजक रही चारण जाति की पिछली 7-8 शताब्दियों से तत्कालीन शासन एवं समाज में महत्वपूर्ण…

दीपै वारां देस, ज्यारां साहित जगमगै (एक) – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काव्य चेतना के उच्चतम सोपान का साहसी नासेटू-तेजस मुंगेरिया एक रचनाकार अपने समय का गौरव होता है। यह बात उन लेखकों और कवियों पर अक्षरशः लागू होती है जो अपने…

पछै म्हारो बेटो होवण री ओल़ख क्यूं नीं दी!!

ढांढणियै रा लाल़स रामचंद्रजी उन्नीसवें सईकै रा नामचीन कवि। उणांरी घणी रचनावां चावी। जोगी जरणानाथजी रा छंद बेजोड़- जोगी जग जरणा करुणा करणा, इल़ नहीं मरणा अवतरणा!! इणां री काव्य…

जीवटता री जोत जगावतो अंजसजोग उल्थौ: चारु वसंता – डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”

साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली रै अनुवाद पुरस्कार 2019 सूं आदरीजण वाळी काव्यकृति ‘चारु वसंता’ मूळ रूप सूं कन्नड़ भासा रो देसी काव्य है, जिणरा रचयिता नाडोज ह.प. नागराज्या है। इण…

प्राक्कथन-इतिहास एवं काव्य का मणिकांचन सुमेल: बीसहथी मां बिरवड़ी

राजस्थान जितना बहुरंगी है उतना ही विविधवर्णी यहां का काव्य है। जब हम यहां के पारम्परिक काव्य का अनुशीलन करते हैं तो शक्ति भक्ति से अनुप्राणित काव्यधारा हमारे सामने आती…

जनकवि उमरदान जी लाळस – जीवन परिचय

जनकवि ऊमरदानजी लाळस का नाम राजस्थानी साहित्याकाश में एक ज्योतिर्मय नक्षत्र की भांति देदीप्यमान है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की पृथक पहचान है। पाखण्ड-खंडन, नशा निवारण, राष्ट्र-गौरव एवं जन-जागरण का…