Thu. Nov 21st, 2024

Category: सवैया

समानबाई के सवैया

करसै है कमान अहेरिय कान लौं, बान तैं प्रान निकालन में हैं। दरसै गुस्सै भर्यो स्वान घुसै, झुरसै तन तो जगि ज्वालन में हैं। तरसै दृग नग पै ढिग तो,…

गजेन्द्र मोक्ष पर समान बाई का सवैया

पान के काज गयो गजराज, कुटुम्ब समेत धस्यो जल मांहीं। पान कर्यो जल शीतल को, असनान की केलि रचितिहि ठाहीं। कोपि के ग्राह ग्रह्यो गजराज, बुडाय लयो जल दीन की…

इश-महिमा-सवैया – कवियत्रि भक्तिमति समान बाई

।।सवैया।। शत्रुन के घर सेन करो समसान के बीच लगाय ले डेरो। मत्त गयंदन छेह करो भल पन्नग के घर में कर गेरो। सिंह हकारि के धीर धरो नृप सम्मुख…