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Category: श्री रामनाथ जी कविया

बीसहथ रा सौरठा – रामनाथ जी कविया

उभी कूंत उलाळ, भूखी तूं भैसा भखण। पग सातवै पताळ, ब्रहमंड माथौ बीसहथ।।१ सौ भैसा हुड़ लाख, हेकण छाक अरोगियां। पेट तणा तोई पाख, वाखां लागा बीसहथ।।२ थरहर अंबर थाय,…

करुण बहतरी (द्रोपदी विनय) – श्री रामनाथजी कविया

करुण – बहतरी (द्रोपदी – विनय) श्री रामनाथजी कविया ने द्रोपदी के चीरहरण को विषय बनाकर ७२ दोहे व् सोरठे लिखे है। जो करुण बहतरी या द्रोपदी विनय के नाम…