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Category: श्री जोमां मां

श्री जोमां मां रो छंद- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली

श्री जोमां मां रो छंद   रचना-–राजेन्द्र दान विठू(कवि राजन) झणकली आखर दीजो ऊजळा गुण मां थारा गाय कथूं मात तव कीरती रसना बसों सुरराय।। चित मो कीजो चांनणो भजूं…

जय माँ जोमा।।हूं नीं, जमर जोमां करसी!!

धाट धरा (अमरकोट अर आसै-पासै रो इलाको) सोढां अर देथां री दातारगी रै पाण चावी रैयी है। सोढै खींवरै री दातारगी नै जनमानस इतरो सनमान दियो कै पिछमांण में किणी…

जांमा सति का त्रिभंगी छंद – कवि मधुकर माड़वा (भवरदानजी)

धन्य सुन्दर तण धिवड़ी, निज उण जांमा नाम। हड़वेची जल अमर हुइ, कर सुकरत भल काम।(1) जाती तणा किया जतन, गाल सती धन गात । पात देथो  अमर पती, मीठड़ियै…