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Category: व्रजमालजी मेहडू

छंद – झुलणा – चारण विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – झुलणा शूंढाळा सांयजे गणाधिपति गुणपति, विघ्न सब हरीजे सुणो हेला. करा हूं आरदा शारदा सरसती, अब्द नी ल्हांणी दियो पेला. राज कविराज ना आज जश भाखवा, रसण पर…