Sat. Apr 19th, 2025

Category: विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – हरीगीत – रचिता – चारण विजयभा हरदासभा बाटी.

छंद=हरीगीत *चल छोड दे अब छोड दे तुं वृथा चिंता छोड दे.* *ताहरे अधीन है कर्म तो तुं कर्म नाता जोड दे.* *होनी हरीवर हाथ रखियो सकल फिर जंजाळ है.*…

छंद – नराच – रचिता – चारण विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – नराच *जळाहळा जळाहळा प्रचंड तेज पुंज हो.* *निशा विडार भंज घोर आपही अखंड हो.* *प्रमाद खंड खंडना प्रभो अखंड आप हो.* *नभोमणी प्रभाकरा दिवाकरा प्रणाम हो.* *ग्रहा भुपाळ…

छंद – झुलणा – चारण विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – झुलणा शूंढाळा सांयजे गणाधिपति गुणपति, विघ्न सब हरीजे सुणो हेला. करा हूं आरदा शारदा सरसती, अब्द नी ल्हांणी दियो पेला. राज कविराज ना आज जश भाखवा, रसण पर…

चम्पाबाई माँ छंद – विजयभा हरदासभा बाटी

छंद – दोमळियो दुहो प्रगट मात पृहमी परे,हरणी विपत हजार. चरणा दीजो चारणी,चांपल जुगरी चार. छंद धिन चारण कुळ जळोमळ जोगण,ओप दिरावण आप सही. अवतार अपार धिराण महाबळ,सेवकरी सरकार कही.…