समानबाई के सवैया
करसै है कमान अहेरिय कान लौं, बान तैं प्रान निकालन में हैं। दरसै गुस्सै भर्यो स्वान घुसै, झुरसै तन तो जगि ज्वालन में हैं। तरसै दृग नग पै ढिग तो,…
करसै है कमान अहेरिय कान लौं, बान तैं प्रान निकालन में हैं। दरसै गुस्सै भर्यो स्वान घुसै, झुरसै तन तो जगि ज्वालन में हैं। तरसै दृग नग पै ढिग तो,…
पान के काज गयो गजराज, कुटुम्ब समेत धस्यो जल मांहीं। पान कर्यो जल शीतल को, असनान की केलि रचितिहि ठाहीं। कोपि के ग्राह ग्रह्यो गजराज, बुडाय लयो जल दीन की…
बनासा री बछेरी सतेज घणेरी, जीनै राम बना चढ फेरी।।टेर।। राय आंगण बिच रिमझिम नाचै, जाणै इक इन्द्र परेरी। हार हमेल हिया बिच सोहे, कनक लगाम खिंचेरी बनासा री बछेरी…
श्रीमद् सब सुख दाई। नृपति कुं श्रीसुखदेव सुनाई।।टेर।। विप्र श्राप तैं जात अधमगति, डरियो नृपत मन मांई। ऐसो कोई होय जगत में, श्रीकृष्ण लोक पंहुचाई।।1।। आये सुक नृप के सुख…
गाँव धणारी के राठौड़ मूऴजी करमसोत, जोधपुर महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय के समय नागौर के हाकिम थे, वे बहुत उदारमना एंव काव्य-प्रेमी तथा चारणों का अति-विशिष्ठ सम्मान करने वाले व्यक्ति थे।…
!! कवित्त !! कविया हिंगऴाजदान जी रचित !! कविया श्री हिंगऴाजदानजी भगवती के अनन्य उपासक थे, माँ उनकी हर पुकार पर आधे हैलै हाजर होती थी, उस समय की परिस्थितियों…
!! राजस्थानी भाषा !! ========================= संसार की किसी भी भाषा की समृद्धता उसके शब्दकोष और अधिकाधिक संख्या मे पर्यायवाची शब्दो का होना ही उसकी प्रामाणिकता का पुष्ट प्रमाण होता है।…
!! कवित्त !! धराके हिये में ध्यान राम अवधेश जूको, मात पितु मेरे ताके चर्ण सीस नाऊँ मैं ! सदगुरू सुजान निज ईश्वर समान मान, जाकी कृपादृष्टि हुते वांछितफल पाऊँमैं…
दोहा !! इऴा न देणी आपणी, हालरिये हुलराय ! पूत सिखावै पालणै, मरण बङाई माय !! सज मुखमलरी सेज, नरसोवै हुयहुय निसंक ! बै कांटा रा बेज, रती न जाणै…
कवित्त !! सन्नी जमराज दोऊ धारत महीषन को, मृग पे मयंक अर्क अश्व पे दिखात है ! ब्रह्मा अरू सुरसती हंस पे सवार बनें, तारख पे विष्णु मैन मीन पे…