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Category: मोहनसिंह रतनू

मां मोगल मछराळ ~ मोहन सिंह रतनू

शीश नमाऊं शारदा, सुमरू देव सुण्डाळ। जस बरणूं जगतंब रो, मां मोगल मछराळ।।1 ओखा धर जनमी उमय, ईहग बरण उजाळ। तिहू लोकां तारण तरण, मां मोगल मछराळ।।2 आवे जद अबखी बखत,…

धवल उजवल मरुधरा – कवि मोहनसिंह रतनू

जिण भोम उपजे भीम सा भट, थपट भूमंड थरथडै। धड शीश पडियो लडे कमधज, झुण्ड रिपुदल कर झडे।। जुध काज मंगल गिणत जोधा, वीरवर विसवासरा। प्रचंड भारत दैश प्रबल, धवल…