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Category: मोहनसिंह रतनू

गीत बल्लू जी चांपावत रो (संकलन कर्ता- मोहन सिह रतनू, जोधपुर

गीत बल्लू जी चांपावत रो गीत प्रहास साणोर विजड ऊठियो धूण गिरमेर रो बहादुर, पछै म्हे कदे अवसाण पावां। अमर ने सुरग दिस मैल ने ऐकलो, आगरै लडैवा कदै आवां।…

गोड़ावण गरिमा

🌹गोड़ावण गरिमा🌹 दुहा गोडावण गरिमा लिखूं ,दो उगती वरदाय जिण पंछी रे जीवसूं, लम्पट गया ललचाय छंद नाराच वदे महीन मृदूबाक,  काग ज्युं न कूक हे बैसाख जेठ मास बीच…

देस-देस रा दूहा- मोहनसिंह रतनू

ऊंचो तो आडावल़ो, नीचा खेत निवांण। कोयलियां गहकां करै, अइयो धर गोढांण।। उदियापुर लंजो सहर, मांणस घण मोलाह। दे झोला पाणी भरे, रंग रे पीछोलाह।। गिर ऊंचा ऊंचा गढा, ऊंचा जस…

जीत रण बंका सिपाही – कवि मोहनसिंह रतनू

आज संकट री घडी हे, देश पर विपदा पडी हे, कारगिल कसमीर मे, कन्ट्रोल लाइन लडखडी हे। जुध रो बाजे नगारो, सुण रह्यो हे जगत सारो, दोसती री आड दुसमण,…

जंगी गढ जोधांण, बंको बीकानेर व महीपत जेसलमेर

जंगी गढ जोधांण मोहनसिंह रतनू जयपुर कदेन जावणो अंबु हवा असुद्व। प्राय वाहन गिरपडै, राह करे अवरूद्व।।१ बारीश में कोटा बुरो, दिन रूकणो नह दोय। माखी माछर मांदगी, हर च्यारुं…

बैशक दीजो बोट – कवि मोहनसिंह रतनू

दिल मे चिंता दैश री,मन मे हिंद मठोठ। भारत री सोचे भली, बीण ने दीजो बोट।। कुटलाई जी मे करे,खल जिण रे दिल खोट। मोहन कहे दीजो मति,बां मिनखां ने…

चिरजा – मोहनसिंह रतनू

।। चिरजा ।। मनवा मात सुमर जग मोंही थारो अवसर जाय अकाजा….टेर दिल सुध सू आवे दुखियारी,देसनोक दरवाजा । रोग दोस हर मात रूखाले,तन कर देवे ताजा ।। मनवा….१ ढोल…

गरमी मे गुडफील – मोहनसिंहजी रतनू 

गरमी भीसण गजबरी,सिरपर रखिये साल। छक कर पीवो छाछने,रखिये साथ रुमाल।।१ गरमी भीसण गजबरी, खाणी अलप खूराक। पाणी ज्यादा पीवणो, छोड दिराणी छाक।।२ गरमी भीसण गजबरी,खाणा नित खरबूज। खस खस…

शहर बडो जयपुर सुखद – श्री मोहनसिंह रतनू

शहर बडो जयपुर सुखद, भली सुचंगी भोम। जंतर मंतर जोयबा, ऊरे पधारो ओम।। १ नींव धरी जय नृपने, कुल कुरम बड कोम। जस छायो सह जगत मे, आयर देखो ओम।।…

खरी कमाई खाय – कवि मोहनसिंह रतनू

खोटा रूपया खावतो, जावे सीधो जेल। मिल जावे रज माजनो, बंश होय बिगड़ैल।।1 खोटा रूपया खावतो, लगे एसीबी लार। निश्चय जावे नौकरी, बिगड़ जाय घरबार।।2 खोटा रूपया खावतो, चित्त में…