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Category: भवरदान मधुकर माड़वा

जांभा सुजस – कवि भंवरदान माडवा “मधुकर”

।।दोहा।।अवनी जीव ऊद्धारणा, संत सुधारणा शम्भ।विश नव जात वधारणा, जय जोगेश्वर जम्भ।। ।।छंद – त्रिभँगी।।जन मन जयकारा, धन तन धारा, अवन उचारा अवतारा।पिंपासर प्यारा, दीन दुलारा, पुन प्रजारा, परमारा।तपस्या तन…

कवि मधुकर छंद रोमकंद निजर

कवि मधुकर छंद रोमकंद निजर सिंढायच चन्दू सती, वर्ण हन्दू रख वात। शरणो दे ऊदल सदू, अवन बंदु अखियात।1 अखियात सुगात प्रभात उचारत, मात चन्दू वर्ण जात मही। तव आणद…

लूंग मां- कवि मधुकर माड़वा।

।।दोहा।। आई लूंग जन्म इला, उपजाई अनुराग। वरदाई मां विसहथी, भमर गाई बड भाग।।1।। अजित दान पितु आशिया, मायड़ मेतु महान। लूंग जाय घर लाडली, वलदराय वरदान।।2।। साल गिरह नभवै…

मोदी माला – भंवरदान “मधुकर” माड़वा

मोदी माला – भंवरदान मधुकर माड़वा- +919414761361 सादर में कवी मधुकर आज भारत देश के इन शहादती जवानां को श्रदांजली देता हुवा नमन करता हू। ओर भारत कि जनता सें…

माँ करणी मेरवान – मधुकर

कय मधुकर जय करनला, किरपा दय किनियान। काव्य सधर लय कथणी, सय सुख घर शुभियान। साय तमां रिछपाल हमां सद, आप नमां अहसान अपारा। हाँ हम बाल झिकाल किया हद,…

रजवट भाषा नै राखणियां, आवो मिल साथ आवाज करे- भंवरदान (कवि-मधुकर माडवा)

आज तीस मार्च राजस्थानी दिवस मोके पर मायड़ भाषा मान्यता तेज करनै कि मुहिम का आहवान करता मधुकर काव्य निजर । राजस्थानी दिवस री, तारिक आयी तीस। मायड़ भाषा मधुकरा,…

केशरीसिह बारहठ जयंती सुजस – भवरदान माड़वा मधुकर

अमर शहिद केशरीसिह बारहठ जयंती सुजस कवि भवरदान माड़वा मधुकर निजर। अमर शहिद वंदन अती, केशर जती कहाय। सत पैंतालिस सुकृती, जयन्ती जचवाय ।(1) ।।छंद गिया मालती ।।  देवपुर जागिरदारा,…

रामजी री चालिस पिढी तक रा वर्णण – मधुकर माड़वा (भवरदानजी)

ब्रह्मा के मरिची बेटै, मरिची कश्यप मुणां, कश्यप के पूत, विस्ववान कहलायै है। विस्ववान के वेवत्स, वेवत्स इक्षाकु बणै, वीर महा नगर वो, अहोध्या बसायै है। इक्ष्याकु कै कुक्षी अरू,…

राजस्थान की प्रशिद लोक देवियां कवित – कवि मधुकर माड़वा (भवरदानजी)

राजस्थान की प्रशिद लोक देवियां कवित कवि मधुकर   करनल मात कहै, देशनोक बीकानेर, चुवां वाली देवी जग, चावा जस चया है। तैमड़ा तणोट आद स्वांगिया मालण तहां, जगत जैसांण…

जंगी गढ जोधांण, बंको बीकानेर व महीपत जेसलमेर

जंगी गढ जोधांण मोहनसिंह रतनू जयपुर कदेन जावणो अंबु हवा असुद्व। प्राय वाहन गिरपडै, राह करे अवरूद्व।।१ बारीश में कोटा बुरो, दिन रूकणो नह दोय। माखी माछर मांदगी, हर च्यारुं…