Tue. Dec 3rd, 2024

Category: भक्ति

समानबाई के सवैया

करसै है कमान अहेरिय कान लौं, बान तैं प्रान निकालन में हैं। दरसै गुस्सै भर्यो स्वान घुसै, झुरसै तन तो जगि ज्वालन में हैं। तरसै दृग नग पै ढिग तो,…

गजेन्द्र मोक्ष पर समान बाई का सवैया

पान के काज गयो गजराज, कुटुम्ब समेत धस्यो जल मांहीं। पान कर्यो जल शीतल को, असनान की केलि रचितिहि ठाहीं। कोपि के ग्राह ग्रह्यो गजराज, बुडाय लयो जल दीन की…

श्रीमद्भागवत महिमा – समानबाई कविया

श्रीमद् सब सुख दाई। नृपति कुं श्रीसुखदेव सुनाई।।टेर।। विप्र श्राप तैं जात अधमगति, डरियो नृपत मन मांई। ऐसो कोई होय जगत में, श्रीकृष्ण लोक पंहुचाई।।1।। आये सुक नृप के सुख…

घनश्याम मिले तो बताओ हमें -कवियत्रि भक्तिमति समान बाई

ऐसे घनस्याम सुजान पीया, कछु तो हम चिन्ह बतावें तुम्हें। सखि पूछ रही बन बेलन ते घनश्याम मिलै तो बताओ हमें।।टेर।। मनि मानिक मोर के पंखन में, जुरे नील जराव…

भक्तिमति समान बाई (मत्स्य की मीराँ)

राजस्थान की पुण्यधरा में अनेक भक्त कवयित्रियों ने अपनी भक्ति भावना से समाज को सुसंस्कार प्रदान कर उत्तम जीवन जीने का सन्देश दिया है। इन भक्त कवियित्रियों में मीरां बाई,…

इश-महिमा-सवैया – कवियत्रि भक्तिमति समान बाई

।।सवैया।। शत्रुन के घर सेन करो समसान के बीच लगाय ले डेरो। मत्त गयंदन छेह करो भल पन्नग के घर में कर गेरो। सिंह हकारि के धीर धरो नृप सम्मुख…

ध्रुव स्तुति – महात्मा नरहरिदास बारहठ

“अवतार चरित्र” ग्रन्थ में ध्रुव-वरद अवतार की स्तुति ।।छन्द – कवित्त छप्पय।।ऊँकार अपार, अखिल आधार अनामय।आदि मध्य अवसान, असम सम आतम अव्यय।एक अनेक अनंत, अजीत अवधूत अनौपम।अनिल अनल आकाश, अंबु…

करंत देवि हिंगळा ~ कविराज बचुभाई (जीवाभाई रोहडिया) गढवी

हिंगळाज माताजी री स्तुति। कविराज बचुभाई (जीवा भाई रोहडिया) गढवी जो गुजरात रा एक प्रसिध्ध वारताकार (बातपोश) हा। दोहा चाहत जिणने वृंद सुर,चारण सिध्ध मुनीन्द्र। ढूंढत है नित ध्यान मंह,करण…