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Category: दोहे

मूलरूप से शेयर की गुजारिश मानवता बनी रहें- रणजीत सिंह चारण रणदेव

(दूहे) सक्रांत आय भायलों, दिवस स्थिति ने फेर । दिन बडो रात छोटडी ‘,, लाई खुशिया घेर ।। 1।। धूप पडे नहीं धार की , ठंड पडें हैं ठाठ ।…

अपनी संस्कृति को दोहराना होगा- रणजीत सिंह ‘रणदेव’ चारण

अपनी संस्कृति को दोहराना होगा   पाश्चात्य संस्कृति के धारणों, खोटी तुम्हें सुनाने आया हूं। जुंबा लें भारती का नाम,, अपनी संस्कृति बतानें आया हूं।।   अपनी संस्कृति को अपने,…

बरखा होगी बावली-रणजीत सिंह रणदेव चारण

बरखा होगी बावली बरसात पर कुछ दोहें रणजीत सिंह रणदेव चारण रचित हवा चलें बे रूख सी,   लावें बादल खोल। रोचक चलें रिमझिम सी, आज करे ना मोल।।१।।   बरखा…

भलाई पर दोहे रणजीत सिंह रणदेव चारण रचित-रणजीत सिंह रणदेव चारण

“भलाई”पर दोहे रणजीत सिंह रणदेव चारण रचित भलाई पहलां तुम भजों, रठों ना दुजी राड। कुछ तो मनु भली कर लें,, पडें न ऊपर पहाड।। १।।   भलाई जग में…

कश्मिरी पत्थरबाजीयों पर-रणजीत सिंह रणदेव चारण

कश्मिरी पत्थरबाजीयों पर।   देशद्रोही छुप बैठे हैं, हिंदु वतन की रिक्तियों में। ढूंढ-ढूंढ के मार गिराओं,, जहाँ दिखे गलियों में।।  कश्मिर धरा पर गद्दारों ने, ईमान का पतन किया।…

बचपन का मेला – रणजीत सिंह ‘रणदेव’ चारण

बचपन का मेला मेले के जीवन से एकदम विपरित  बचपन में था मैं भोला – सयाना। मेला सभी को सौन्दर्य से लुटता कहते सब हुशयारी का जमाना।।   जब गांव-गली…

चारण मनोहरदास नांदू (गांव – सुरपाऴिया, नागौर)

इतिहास में केई काऴ भुरजाऴ जंगी जोधारां रा संगी साथी ऐहड़ा कण पाण वाऴा अर आत्म बलिदानी होवता हा कि उणानै आपरै स्वामी री भक्ति आगै आपरो जीवण तोछो लखावतो…

जंगी गढ जोधांण, बंको बीकानेर व महीपत जेसलमेर

जंगी गढ जोधांण मोहनसिंह रतनू जयपुर कदेन जावणो अंबु हवा असुद्व। प्राय वाहन गिरपडै, राह करे अवरूद्व।।१ बारीश में कोटा बुरो, दिन रूकणो नह दोय। माखी माछर मांदगी, हर च्यारुं…

बैशक दीजो बोट – कवि मोहनसिंह रतनू

दिल मे चिंता दैश री,मन मे हिंद मठोठ। भारत री सोचे भली, बीण ने दीजो बोट।। कुटलाई जी मे करे,खल जिण रे दिल खोट। मोहन कहे दीजो मति,बां मिनखां ने…

म्हे मेहड़ू पारकरा, धरा प्रथम सुं ध्येय- आशूदान मेहडू

म्हे मेहड़ू पारकरा, धरा प्रथम सुं ध्येय। झुकण, रुकण जाणां नहीं टणकी सिंहाँ टेव।। ~आशूदानजी मेहडू कलिंगर आंजस करो, आंजसे महेडू आज। विशोतेर आंजस करो, राज थकी धनराज।। ~धनराजजी मेहडू (प्रेषित-भवरदान…