Fri. Nov 22nd, 2024

Category: दोहे

सेवामें श्रीमानजी, एक शिकायत ऐह….

कवि गिरधर दान रतनू “दासोडी” द्वारा “काव्य-कलरव” अर “डिंगळ री डणकार” ग्रुप रा कवियों ने निश्क्रिय रेवण सूं दियौडौ एक ओळभो देती कलरव अर डिंगल़ री डणकार रा मुख्य-संरक्षक / संरक्षक…

झालामान शतक- नाथूसिंहजी महियारिया

नाथूसिंहजी महियारिया रचित झाला मान शतक सर कोटि री उंचे दरजे री बेजोङ रचनाहै जिण कृति में सादङी (मेवाङ) रै राजराणा झाला मानसिंह जी रै उद्भट शौर्य, अदम्य साहस अर…

सागरदानजी कविया (आलावास) रा कह्या दोहा – राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! सागरदानजी कविया (आलावास) रा कह्या दोहा !!     !! आउवा ठाकुर खुशालसिंह रा !!         ईस्वी सन 1857 से पहले ही अंग्रेजो के सामने अति सक्रिय भूमिका…

हर का भगत हरदासजी-राजेंन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

!! हर का भगत हरदासजी !! हर शिवजी रो ऐक दूजो नांव अर हर मोटा देव, ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देव जोङासूं जाणिजै, इंयां तो संसार में ऐक सूं ऐक…

हरिभक्त चारण कवि

हरिभक्त चारण कवि ! !! छप्पय !! कर्मानन्द अल्लू चौरा, चंड ईसर केसो ! दूदो जीवद नरौ, नारायण मांडण बेसो ! कोल्हरू माधौदास, बहुत जिन वाणी सोहन ! अचलदास चौमुखारू,…

जय कुलदेवी श्री चालकनेची माँ- आशूदान मेहड़ू जयपुर राज

जय कुलदेवी श्री चालकनेची माँ. हमणा आपणा बधा देगाम वासी मेहड़ू भाईयो ने कुलदेवी ना स्थाने सामुहिक जीमण जीमतां जोया. हियुं हर्ष थी हिलोला मारवा लागयुं अने मारो पारकर राठी…

Ulwar and its Art Treasures-राजेन्द्रसिंह कविया संतोषपुरा सीकर

“Ulwar and its Art Treasures” By T. Handley. Surgeon Major अर्थात- अलवर के संग्रहालय में आज भी ऐक तलवार की मूंठ पर सोनेरण (स्वर्ण) भाग पर माँ सा करनी जी…

दात्तार अर सूर संवादौ – शंकरदानजी बारहठ

“दात्तार अर सूर संवादौ” !! !! शंकरदानजी बारहठ रचित !! बीकानेर रा दरबार रायसिंह जी इणीज कवि शंकर बारहठ ने सवा करोङ पसाव रूपियां रो पसाव प्रदान करियो हो, इणां…

दोहें जगदम्बा के-रणजीत सिंह रणदेव चारण

दोहें जगदम्बा के आप पधारों आवडा, दुजों लिए अवतार। गान अब तोरे गाऊं,,करज्यों न इणकार।।१।।   शक्ति हिगलाज सरूपा, सेवग विनय सवार। आज ही मात आवजों,,करज्यों न इणकार।। २।।  …

नेता अर साधु पर दूहें रणजीत सिंह रणदेव चारण रचित

नेता अर साधु पर दूहें रणजीत सिंह रणदेव चारण रचित   नाथ नीति ऐसी रमें, मंदिर बनने माॅल। आस-पास का खात हें, बचत न कोई खोल ।।१।।   राजनिती भरती…