भारत नैं आज संभाळांला
सूरज जद स्याह अंधेरी सूं, रंग-रळियां करणो चावै है। चांदै नैं स्यामल-रजनी रै, आँचळ में आँणद आवै है। इसड़ी अणहोणी वेळा में, होणी रा गेला कद दीखै। कहद्यो अै तारा…
आंधै विश्वास तणो अंधियारो!
।।गीत जांगड़ो।। आंधै विश्वास तणो अंधियारो, भोम पसरियो भाई। पज कुड़कै में लिखिया पढिया, गैलां शान गमाई।।1 फरहर धजा बांध फगडाल़ा, थांन पोल में ठावै। बण भोपा खेल़ा पण बणनै,…
उफ ! यह आजादी- आशूदानजी मेहडू
उफ ! यह आजादी… “आतंकवादी “??? यह आजादी, गज़ब आजा़दी, सारा विश्व सुलग रहा । मानव भक्षक बन मानव का , आतंक खेल उल्झ रहा । मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे खाली,…
दौरेजहाँ का दर्द – डॉ. गजादान चारण “शक्तिसुत”
ये षड्यंत्री दौर न जाने, कितना और गिराएगा। छद्म हितों के खातिर मानव, क्या क्या खेल रचाएगा। ना करुणा ना शर्म हया कुछ, मर्यादा का मान नहीं। संवेदन से शून्य…
क्रांति कैसे होती है? – जयेशदान गढवी
(आज इस देश में कइ तरह के स्वार्थी लोग अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए सडकों पर निकल पड़े हैं, और अपनी इस प्रवृत्ति को “क्रांति” नाम दे रहे हैं। ऐसे…