मही मदती मावड़ी
।।दूहा।। सुणजै नितप्रत समरियां, आयल ऐह अरज्ज। पूरै तूं परमेसरी, घट री मूझ गरज्ज।।१ विसतरियो धर पर विघन, रसा करोना रोग। हेलो सुण ओ हेतवां, जांमण काट कुजोग।।२ ।।छंद-सारसी।। धिन…
।।दूहा।। सुणजै नितप्रत समरियां, आयल ऐह अरज्ज। पूरै तूं परमेसरी, घट री मूझ गरज्ज।।१ विसतरियो धर पर विघन, रसा करोना रोग। हेलो सुण ओ हेतवां, जांमण काट कुजोग।।२ ।।छंद-सारसी।। धिन…
।।दोहा।। उग्रसेन चारण सकळ, कंस कळी बणवीर। गोकुळ मढडा गाममें, सोनल जाई हमीर।। ।।छंद – सारसी।। नव लाख पोषण अकळ नर ही, ए ज सोनल अवतरी।। मा ! ए ज…
आई नी अकळांमण छंद : सारसी दोढेक लीटर पीये दारु, चिकन मुरगां चावता. मंडाय पाछा मंच माथे गीत सोनल गावता. देवीय कोटी वरण देखो जुवो कई दिश जाय छे. ज्वाळा…
बिरवडी जी रा छंद ॥दोहा॥ तुं दीधा नूं देव, नरही लीधा नूं नही। गरवी मां गंगैव, बिरद तुहाळौ बिरवडी॥ 1 ॥ निवत कटक नव लाख, जिण नवघण जिमाडियो। सुरज शशिहर…
।।दोहा।। आई लूंग जन्म इला, उपजाई अनुराग। वरदाई मां विसहथी, भमर गाई बड भाग।।1।। अजित दान पितु आशिया, मायड़ मेतु महान। लूंग जाय घर लाडली, वलदराय वरदान।।2।। साल गिरह नभवै…
श्री आवड़ माँ रो छंद सुख सागर देवण सगत तिमर टाळण तण वार। आवड़ नाम उचरन्तो आंणद आय अपार।। धन माड़ धरा धरणी आइ मात आवड़ा। जनम जग जात जरणी…
श्री वीरों माँ भिंयाड़ छंद रचना – राजेन्द्रदान वीठू (कवि राजन झणकली) रावळ गुड़े रांण रो अरी दळ आयो एक गऊ ले गयो गांम रे हुकम न छोड़ी हेक।।…
ईश्वर की गहन गति का वर्णन दोहा गहन गति प्रभु की गिणो, वर्णे कोण वखाण। रहे अन्दर बाहर रमें, कैक रचे कमठाण।। छंद जात सारसी के के रचाना कमठाणा, जगत…