मनरंगथली मझ मात रमें – छंद : रोमकंद
!!दोहा!! गुण लिखतां गुणपत थके, बरणत सुरसत व्यास! मात तिहारै चरित को, दाखि सकै किम दास? १ नहीं छंद, रस भी नहीं, पास नहीं लय प्रास! रास तऊ रचणौ चहें,…
!!दोहा!! गुण लिखतां गुणपत थके, बरणत सुरसत व्यास! मात तिहारै चरित को, दाखि सकै किम दास? १ नहीं छंद, रस भी नहीं, पास नहीं लय प्रास! रास तऊ रचणौ चहें,…
सिरुवै जैसल़मेर रा रतनू हरपाल़जी समरथदानजी रा आपरी बखत रा स्वाभिमानी अर साहसी पुरस हा। इणां री शादी रतनुवां रा बही-राव, रावजी पूनमदान नरसिंहदानजी बिराई रै मुजब गांम सींथल़ रा…
।।दूहा।। विमल़ बिछायत बेकल़ू, थल़ पर थांनग थाप। मनरँगथल़ माजी मुदै, इल़ इण राजो आप।। चाल़़क मार्यो चंडका, किया खंडका काट। मनरँगथल नू मंडका, दैत दंडका दाट।। चाल़कनेची तो चवां,…
कवि मधुकर छंद रोमकंद निजर सिंढायच चन्दू सती, वर्ण हन्दू रख वात। शरणो दे ऊदल सदू, अवन बंदु अखियात।1 अखियात सुगात प्रभात उचारत, मात चन्दू वर्ण जात मही। तव आणद…
कच्छप मच्छय वराह काय वामन नरसिंह वेश। किरशण राम बुद्धम कल्कि परसु राम बण पेश।।,,,,,,,1 ईशर धरया अवतार पृथ्वी मिटावण पाप। आतंक रूपी असुर नों आवों मारण आप।।,,,,,2 जन जन…
।।दोहा।। सक हय बसु सत्रह समय, माधव दरस मिलाप। घटिय रुद्र रवि के चढत, उलटि समुद्रन आप।।१ ।।छंद – दुर्मिला।। दुव सेन उदग्गन खग्ग समग्गन अग्ग तुरग्गन बग्ग लई। मचि…
।।दूहा।। अवरळ वॉणी उर वसौ मात चण्डी मँहमाय । आखों दैवळ औपमा रूप गिरॉ सुरराय ।।१।। छँद रौमकँद सुरराय सदा अघ मेटण सॉप्रत पाय नमौ पह रीत पणॉ । रवराय…
।।छंद-बिअख्खरी।। अकळ पंथ कपारो अक्कळ। कहिए खी मोथ कुंड कज्जळ। कोहला परबत राय सकोमळ। आदि अनादि हिंगोळ अणंकळ।।1।। ।।दोहा।। कुंड कणिर अघोर कुंड, चंद्रकूप कुंड चाय। सुरज कुंड जणिथे सळे,…
सरणी है निज सेवगां करणी अणहद काज धर पिछम मे मात धिन हरणी दुख हिंगलाज।। छंद रोमकंद पिछमाण धराल़िय तैं प्रतपाल़िय थांन तिहाल़िय जेथ थपै सत्रु घट गाल़िय संत सँभाल़िय…