Sat. Apr 19th, 2025

Category: छंद-रुपमुकुंद

हिंगळाज माताजी री स्तुति – कवि रामचंद्र मोडरी (राणेसर)

।।छंद-बिअख्खरी।। अकळ पंथ कपारो अक्कळ। कहिए खी मोथ कुंड कज्जळ। कोहला परबत राय सकोमळ। आदि अनादि हिंगोळ अणंकळ।।1।। ।।दोहा।। कुंड कणिर अघोर कुंड, चंद्रकूप कुंड चाय। सुरज कुंड जणिथे सळे,…