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Category: छंद त्रिभंगी

श्री सीलां माँ रो छंद ~ भंवरदान झणकली

श्री सीलां माँ रो छंद ~ भंवरदान झणकली साल अठ दस सत अठ समे मास घटा प्रिय मात। दनुज गुरु दीप्त चहुदस उदे भया अखियात।।1।। पात हंस पी धर भूत…

भैरवाष्टक – डॉ. शक्तिदान कविया

सोरठाभैरु भुरजालाह, दिगपाला बड दैव तूं।रहजै रखवालाह, नाकोडा वाला निकट।। छंद त्रिभंगीनाकोडा वाला, थान निराला, भाखर माला बिच भाला।कर रुप कराला, गोरा काला, तु मुदराला चिरताला।ध्रुव दीठ धजाला, ओप उजाला,…

जांभा सुजस – कवि भंवरदान माडवा “मधुकर”

।।दोहा।।अवनी जीव ऊद्धारणा, संत सुधारणा शम्भ।विश नव जात वधारणा, जय जोगेश्वर जम्भ।। ।।छंद – त्रिभँगी।।जन मन जयकारा, धन तन धारा, अवन उचारा अवतारा।पिंपासर प्यारा, दीन दुलारा, पुन प्रजारा, परमारा।तपस्या तन…

श्री गंगा मैया रो छंद- कवि राजन झणकली कृत

श्री गंगा मैया रो छंद सुरसती उर रहो सदा दीजो आखर दान। सुंदर रचना कर सकूं धरूं गंग चित ध्यान।। शिव जटा पर रही सदा प्रकटे नीर पवित पाप हरे…

महमाया चम्पाबाई माँ सुजस – भँवरदानजी माड़वा “मधुकरजी”

महमाया चम्पाबाई माँ सुजस। ।।दोहा।। शुध बुध दे चम्पा सगत, कुमत टाल करनल्ल। भगत सुजस भणै भमरो, उकत समपो अवल्ल। पारकर धन्य वा प्रथमी, तहां चम्पाआई अवतार। मोद करै वर्ण…

जांमा सति का त्रिभंगी छंद – कवि मधुकर माड़वा (भवरदानजी)

धन्य सुन्दर तण धिवड़ी, निज उण जांमा नाम। हड़वेची जल अमर हुइ, कर सुकरत भल काम।(1) जाती तणा किया जतन, गाल सती धन गात । पात देथो  अमर पती, मीठड़ियै…