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Category: चारण

चारणा री मरजाद – कवि भंवरदान झणकली

चारणा री मरजाद – कवि भंवरदान झणकली देव कुळ मों जन्म देती, जीभड़ी अमरत जड़ी। उण जिभ्या पर आज आखर लाख गाळ्या ले थड़ी। ऐ रही मरजाद अब तो माघणा…

चारण खेड़ा – कवि भंवरदान झणकली

चारण खेड़ा – कवि भंवरदान झणकली महिपर मोलत दीजो माता में चारण देखन चाहता। सरग कैलाश वैकुण्ठ नी मांगू, मुगती रो नही शोक। लाज मरजाद बोल अमोलख जेथ बसे कवलोक।।…

काल कवि – डॉ. रेवंत दान बारहठ

काल कवि समय के महासमर में मैंने शाश्वत शब्दघोष किया है शब्द मेरे शस्त्र रहे हैं शब्द शक्तियां आत्मसंयम रही हैं मैं सनातन साक्षी हूं असंख्य सभ्यताओं संस्कृतियों की श्रृंखलाओं…

चारण – डॉ. रेवंत दान बारहठ

सृष्टि रचयिता ने स्वर्ग के लिए जब पहली बार रचे थे पांच देव – देवता, विद्याधर, यक्ष, चारण और गंधर्व तभी इहलोक पर रचा था केवल एक नश्वर मनुष्य मगर…

वही तो मैं चारण हूं – आशूदान मेहड़ू जयपुर

वही तो मैं चारण हूं मैं चारण हूं…साधारण हूं, मैं झूठ का मूल निवारण हूं । मैं इतिहास का एक विस्तारण हूं, मैं देश गर्व, गीत पर्व, हेतवृद्धक हुलारण हूं…

ये चारण किसमें आते है – भवानीसिंह कविया नोख

*ये चारण किसमें आते है* मेरे मित्र ने मुझसे पूछी बात। किसमें आती है चारण जात। वर्ण व्यवस्था में वर्ण चार है। सनातन धर्म का यही सार है। वेद पुराण…