पीर की स्तुति:- कानदासजी मेहडू
पीर की स्तुति:- कानदासजी मेहडू कानदासजी मेहडू नाम के हिंदूधर्मी चारण, जब खुद कोई झूठे इल्ज़ाम के लिए अंग्रेजों के कैदी बने, उस समय उन्होंने दरीयाई पीर की स्तुति कि…
पीर की स्तुति:- कानदासजी मेहडू कानदासजी मेहडू नाम के हिंदूधर्मी चारण, जब खुद कोई झूठे इल्ज़ाम के लिए अंग्रेजों के कैदी बने, उस समय उन्होंने दरीयाई पीर की स्तुति कि…
भारतीय इतिहास विषयक ग्रंथों का अवलोकन करने से एक बात सुस्पष्ट होती है कि हम भारत का प्रमाणभूत एवं क्रमबद्ध इतिहास प्रस्तुत करने में सफल नहीं रहे हैं। हमारे यहाँ…
दोहा सुरस्वती उजळ अती, वळि उजळी वाण। करु प्रणाम जुगति कर, बाळाजती बखाण॥1॥ अंश रुद्र अगियारमो, समरथ पुत्र समीर। नीर निधि पर तीर नट,कुदि गयो क्षण वीर॥2॥ खावण द्रोणाचळ खमै,…
बिरवडी जी रा छंद ॥दोहा॥ तुं दीधा नूं देव, नरही लीधा नूं नही। गरवी मां गंगैव, बिरद तुहाळौ बिरवडी॥ 1 ॥ निवत कटक नव लाख, जिण नवघण जिमाडियो। सुरज शशिहर…
छंद – झुलणा शूंढाळा सांयजे गणाधिपति गुणपति, विघ्न सब हरीजे सुणो हेला. करा हूं आरदा शारदा सरसती, अब्द नी ल्हांणी दियो पेला. राज कविराज ना आज जश भाखवा, रसण पर…
बहुत से भाइयों को, विशेष कर नवयुवक मेहड़ू भाइयों को यह क्रमवार जानकारी हो या न हो, लेकिन तथ्यों की गहराई और इतिहास एवं इस कुल के बही भाटों के…
नाम श्री मोतीसिंह जेठाभाई महेडू (गढ़वी) उपनाम मुक्त कवि जन्म वि.स. – १९५२. आषाढ़ सूद ११. पता सामरखा, ता.- आणंद, जीला- खेड़ा, गुजरात विविध पिता – श्रध्धेय जेठाभाई हलुभाई महेडू…