श्री लूंग माँ रो छंद- राजेन्द्रदान बीठू (कवि राजन) झणकली
श्री लूंग माँ रो छंद रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली संकटों कीजो शायता सरवत दीजो साथ बेल आवजो वीश हथ हरदम हाथो हाथ।। भय दुख पीड़ा भाँगजे दीजे…
श्री लूंग माँ रो छंद रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन) झणकली संकटों कीजो शायता सरवत दीजो साथ बेल आवजो वीश हथ हरदम हाथो हाथ।। भय दुख पीड़ा भाँगजे दीजे…
श्री करणी मां री चिरजा रचना- राजेन्द्रदान विठू (कवि राजन ) झणकली मंदर थारो मोटो है माई देशांणो हर इक को दाई।। वेल ऊंची धजा असमान फरुके नभ मो…
श्री जोमां मां रो छंद रचना-–राजेन्द्र दान विठू(कवि राजन) झणकली आखर दीजो ऊजळा गुण मां थारा गाय कथूं मात तव कीरती रसना बसों सुरराय।। चित मो कीजो चांनणो भजूं…
श्री गंगा मैया रो छंद सुरसती उर रहो सदा दीजो आखर दान। सुंदर रचना कर सकूं धरूं गंग चित ध्यान।। शिव जटा पर रही सदा प्रकटे नीर पवित पाप हरे…
श्री वीरों माँ भिंयाड़ छंद रचना – राजेन्द्रदान वीठू (कवि राजन झणकली) रावळ गुड़े रांण रो अरी दळ आयो एक गऊ ले गयो गांम रे हुकम न छोड़ी हेक।।…
श्री सोनल माँ रो छंद सोनल कीजो सायता सरवत दीजो साथ। चिंता मेटजो चारणी मढड़े वाळी मात।। समत दहै सबजन सदा सतपथ रहे समाज। कूड़ कपट कुबुद्ध कदा भय दुरमत…
श्री वीरों माँ री चिरजा भलो घणो है नगर भीमाणो सती बिराजे वीरों सगत। सदा पुकार सुणे माँ सगती भजतो आवे बेल भगत। भलो घणो है नगर भीमाणो,,,,,,1 जनमी विठू…
कवि शिरोमण काग इहग आयो इळ उपरा, साहित्य धन सोभाग। सुरसत मुख रहती सदा, कवि शिरोमण काग।। सितारों सकळ समाज रो, पातां तणो ओ पाग। गढवी इण गुजरात रो, कवि…
श्री चंपाबाई चारणी रो छंद बाग सुता बागेशरी मेहड़ू कुळ महान। पावन धरा पारकरी जनमी डिणसी जान। पति राणो परमारथी मऊ नगरी मांय। वंश सिंढायच वारसी ऊजळ कीनो आय। प्रातः…