हे गाँव, तुझे मैं छोड़ चला, लाचार भरे इस भादों में- कवि मनुज देपावत
हे गाँव, तुझे मैं छोड़ चला, लाचार भरे इस भादों में। था एक दिवस जब तेरे इस आँगन में फूली अमराई ! था एक दिवस जब मेरे भी मन में…
हे गाँव, तुझे मैं छोड़ चला, लाचार भरे इस भादों में। था एक दिवस जब तेरे इस आँगन में फूली अमराई ! था एक दिवस जब मेरे भी मन में…
मैं विप्लव का कवि हूँ ! मेरे गीत चिरंतन। मेरी छंदबद्ध वाणी में नहीं किसी कृष्णाभिसारिका के आकुल अंतर की धड़कन; अरे, किसी जनपद कल्याणी के नूपुर के रुनझुन स्वर…
धरती रौ कण-कण ह्वे सजीव, मुरधर में जीवण लहरायौ। वा आज कल़ायण घिर आयी, बादळ अम्बर मं गहरायो।। वा स्याम वरण उतराद दिसा, “भूरोड़े-भुरजां” री छाया ! लख मोर मोद…
जिसने जन-जन की पीड़ा को, निज की पीड़ा कर पहचाना। सदियों के बहते घावों पर, मरहम करने का प्रण ठाना। महलों से बढ़कर झौंपड़ियां, जिसकी चाहत का हार बनी। संग्राम…
इसी दिन 18 मई 1952 में आपका देवलोक गमन हुआ था। काव्य सृजन प्रतिभा के कारण आपका नाम इस क्षेत्र में सम्मान के साथ लिया जाता है। कवि का…
जिसने जन-जन की पीड़ा को, निज की पीड़ा कर पहचाना।सदियों के बहते घावों पर, मरहम करने का प्रण ठाना। महलों से बढ़कर झौंपड़ियां, जिसकी चाहत का हार बनी।संग्राम किया नित…
विप्लव का कवि “मनुज देपावत” राजस्थान का इतिहास साक्षी है कि यहां का जन साधारण भी बड़ा क्रांतिकारी रहा है। जनसाधारण की इस भावना को बल प्रदान किया यहां…