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Category: कवि प्रहलादसिंह “झोरड़ा”

लेखणी जद कर लियो कड़पाण आजादी मिली- प्रहलादसिंह झोरड़ा

लेखणी जद कर लियो कड़पाण आजादी मिली और कविता जद हुई अगवाण आजादी मिली शंकरै सामौर, बांकीदास, सूरजमल्ल रा गीत बणियां जद अगन रा बाण आजादी मिली भरतपुर रा जाट…

“चारण कवि” (हाँ आज बदळती दुनियां में )- प्रहलादसिंह झोरङा

“चारण कवि” हाँ आज बदळती दुनियां में  विज्ञानी सूरज ऊग गियो  तारां ज्यूं उङतौ आसमान  ओ मिनख चाँद पर पूग गियो  नूंवी तकनीक मशीनां सूं  पल पल री खबरां जाण…

अमर सहीद (अरे कद भूले हो लाडेसर )- प्रहलादसिंह ‘झोरङा’

अमर सहीद” अरे कद भूले हो लाडेसर जुग-जुग सूं नेम घराणै रो | भारत माता रे मिंदर में जीवण री भेंट चढाणै रो || मेङी में बैठी माँ सुत नैं…

कण -कण में कङपाण, भरे जुगभाण जठै- प्रहलादसिंह ‘झोरङा’

कण -कण में कङपाण, भरे जुगभाण जठै | रंगरूङौ मरुदेस, मिनख रो माण जठै || धोरङियां रे बीच, धरम री धरती है | तावङिया में तपै, ठण्ड में ठरती है…

अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ- प्रहलादसिंह “झोरड़ा”

“अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ” कै सोनलियै आखरां वीर रो, मांडू विरद कहाणी में बो हँसतौ हँसतौ प्राण दिया, आजादी री अगवाणी में आभे में तारा ऊग रिया, रातङली पांव…

बूढी माँ रे काळजियै री’- प्रहलादसिंह झोरड़ा

मन री बातां जाणी के, जाणी तो अणजाणी के बूढी माँ रे काळजियै री पीड़ा कदै पिछाणी के  तूं जद भी घर सूं निकळै तो कितरा देव मनावै बा झुळक…