ना रात वो संगीन थी, ना रात वो रंगीन थी- जितेन्द्र चारण
ना रात वो संगीन थी, ना रात वो रंगीन थी। हुआ शहीद प्रताप था, ना रात वो गमगीन थी ॥ शुक्ल पक्ष की रातें थी, वहां वीर तुम्हारी बातें थी।…
ना रात वो संगीन थी, ना रात वो रंगीन थी। हुआ शहीद प्रताप था, ना रात वो गमगीन थी ॥ शुक्ल पक्ष की रातें थी, वहां वीर तुम्हारी बातें थी।…
अमर शहीद प्रताप सिंह बारहठ पर रचित एक कविता…. अमर वाक्य- रोवै तो रोवै भला तोडूं कोनी रीत, जननी सूं ज्यादा मनैं जन्म भौम सूं प्रीत चल रहा था जख्म और…
लेखणी जद कर लियो कड़पाण आजादी मिली और कविता जद हुई अगवाण आजादी मिली शंकरै सामौर, बांकीदास, सूरजमल्ल रा गीत बणियां जद अगन रा बाण आजादी मिली भरतपुर रा जाट…
“चारण कवि” हाँ आज बदळती दुनियां में विज्ञानी सूरज ऊग गियो तारां ज्यूं उङतौ आसमान ओ मिनख चाँद पर पूग गियो नूंवी तकनीक मशीनां सूं पल पल री खबरां जाण…
अमर सहीद” अरे कद भूले हो लाडेसर जुग-जुग सूं नेम घराणै रो | भारत माता रे मिंदर में जीवण री भेंट चढाणै रो || मेङी में बैठी माँ सुत नैं…
कण -कण में कङपाण, भरे जुगभाण जठै | रंगरूङौ मरुदेस, मिनख रो माण जठै || धोरङियां रे बीच, धरम री धरती है | तावङिया में तपै, ठण्ड में ठरती है…
“अमर सहीद कुंवर प्रतापसिंह बारहठ” कै सोनलियै आखरां वीर रो, मांडू विरद कहाणी में बो हँसतौ हँसतौ प्राण दिया, आजादी री अगवाणी में आभे में तारा ऊग रिया, रातङली पांव…
मन री बातां जाणी के, जाणी तो अणजाणी के बूढी माँ रे काळजियै री पीड़ा कदै पिछाणी के तूं जद भी घर सूं निकळै तो कितरा देव मनावै बा झुळक…
।।दूहा।। अखियातां राखण अमर, शाहपुरौ सिरमोर। सुत केहरी परताप सो, हुऔ न हरगिज और।। गावै जस गरवौ जगत, जाण मणी मां जाण। दूध उजाल़्यौ दीकरौ, इधकौ ईश्वर आण।। जीयौ तौ…
आ बतलाऊँ क्यों गाता हूँ ? नभ में घिरती मेघ-मालिका, पनघट-पथ पर विरह गीत जब गाती कोई कृषक बालिका ! तब मैं भी अपने भावों के पिंजर खोल उड़ाता हूँ…